भारत का पहला जनजातीय उद्यमशीलता सम्मेलन 14 नवंबर 2017 से दंतेवाड़ा
(छत्तीसगढ़) में आरंभ हुआ. यह कार्यक्रम आठवें वैश्विक उद्यमशीलता शिखर
सम्मेलन का हिस्सा है. इसका आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफ़ॉर्मिंग
इंडिया (नीति) आयोग तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से किया जा रहा है.
इस सम्मेलन का उद्देश्य आदिवासी उद्यमियों का कौशल विकास करने के
साथ-साथ उन्हें उत्पादों की ब्रांडिंग करने और बेहतर बाज़ार उपलब्ध कराने
में सहायता करना है.
इस दौरान इलाके में होने वाली वन उपज और अन्य उत्पादों के लिये अनुबंध भी किये जाएंगे. इस सम्मेलन का उद्देश्य आदिवासी उद्यमियों का कौशल विकास करने के साथ-साथ उन्हें उत्पादों की ब्रांडिंग करने और बेहतर बाज़ार उपलब्ध कराने में सहायता करना है और इसके अतिरिक्त आदिवासी-केंद्रित स्थायी और समावेशी विकास की दिशा में एक और कदम सुनिश्चित करने के लिए भी यह सम्मेलन आयोजित किया गया.
शिखर सम्मेलन में देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों के आदिवासी उद्यमियों की भागीदारी देखी गई. ऐसा माना जा रहा है कि माओवादी वारदातों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले बस्तर सम्भाग का दन्तेवाड़ा ज़िला, अंतरराष्ट्रीय आदिवासी उद्यमिता सम्मेलन से इस पूरे क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.
इस दौरान इलाके में होने वाली वन उपज और अन्य उत्पादों के लिये अनुबंध भी किये जाएंगे. इस सम्मेलन का उद्देश्य आदिवासी उद्यमियों का कौशल विकास करने के साथ-साथ उन्हें उत्पादों की ब्रांडिंग करने और बेहतर बाज़ार उपलब्ध कराने में सहायता करना है और इसके अतिरिक्त आदिवासी-केंद्रित स्थायी और समावेशी विकास की दिशा में एक और कदम सुनिश्चित करने के लिए भी यह सम्मेलन आयोजित किया गया.
शिखर सम्मेलन में देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों के आदिवासी उद्यमियों की भागीदारी देखी गई. ऐसा माना जा रहा है कि माओवादी वारदातों की वजह से सुर्खियों में रहने वाले बस्तर सम्भाग का दन्तेवाड़ा ज़िला, अंतरराष्ट्रीय आदिवासी उद्यमिता सम्मेलन से इस पूरे क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा.