25 March 2023

दुनिया की पहली लव स्टोरी, देखिए दुनिया में सबसे पहले लव मैरेज किसने किया था

साथियों आपलोग रोमियो जूलिएट, लैला मजनूं, सोनी महिवाल, सलीम अनारकली, पृथ्वीराज संयोगिता और शिरिन फरहाद की लव स्टोरी पर ताली जरूर बजाएं क्योंकि प्रेम किसी धर्म या जाति के बंधन से परे है लेकिन विश्व की प्रथम लव स्टोरी को ना भूल जाना. 
वो प्रेम गाथा ना तो सीता-राम की है, ना राधा-कृष्ण की. वो तो सती और शिव की है. इस लव स्टोरी में कोई हिंसा नहीं हुई. नायक नायिका ने किसी का अपमान नहीं किया. किसी को कोई चोट ना पहुंचाई पर अब जो हुआ वो तो सब कुछ अकल्पनीय था. जब से सृष्टि है तब से इस प्रेम कहानी की अपनी एक गरिमा है और यह प्रेम कहानी दुनिया की पहली अमर प्रेम कहानी है.

17 March 2023

लाखो लोगो को भूखा मारकर बनाया गया ताजमहल प्यार का प्रतिक है तो राम सेतु क्या है ?

वामपंथी इतिहासकारों द्वारा ताजमहल को शाहजहाँ और मुमताज के प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए, आठ हजार औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा. आप यह जानकर हैरान हो जाएँगे कि मुमताज का नाम मुमताज  था ही नहीं, बल्कि उसका असली नाम ‘अर्जुमंद-बानो-बेगम’ था और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हाँकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी. 
मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी. इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने

16 March 2023

वामपंथी इतिहासकारों द्वारा दिया गया नारा "जो जीता वही सिकंदर" देश के माथे पर एक कलंक

सनातन धर्म का इतिहास काफी गौरवशाली है और कोई धर्म हमारे गौरवशाली हिन्दू धर्म के सामने "धूल बराबर भी नहीं" है. इसीलिए वामपंथी इतिहासकारों और देश के गद्दारों द्वारा ये महसूस किया गया कि जबतक हिन्दू अपने गौरवशाली इतिहास से अवगत रहेंगे तब तक हिन्दुओं को सेक्यूलर नामक नपुंसक बनाना नितांत असंभव है. इसीलिए ऐसे गद्दारों ने हमारे स्कूलों के पाठयक्रम को अपना सबसे मजबूत हथियार बनाया ताकि हम हिन्दुओं के मन में बचपन से ही हीन भावना भरी जा सके और धीरे-धीरे सेक्यूलर नामक नपुंसक हिन्दू में परिवर्तित कर दिया जाए. 
इस तरह करते-

भारत का लुटेरा बख्तियार खिलजी

बख्तियार खिलजी का पूरा नाम इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी था. बिहार का वह मुगल शासक था. उस समय दिल्ली के बादशाह कुतुबुद्दीन एबक ने यूपी के मिर्जापुर की जिम्मेदारी बख्तियार खिलजी को दिया था. यूपी से बिहार और बंगाल नजदीक होने के कारन उसका नजर बिहार और बंगाल पर पड़ा और वह पुरे बिहार पर अधिकार कर लिया. एक समय बख्तियार खिलजी बहुत ज्यादा बीमार पड़ गया. उसके हकीमों ने इसका काफी उपचार किया पर कोई फायदा नहीं हुआ. तब उसे नालंदा विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग के प्रमुख

15 March 2023

अहमद शाह अब्दाली

अहमद शाह अब्दाली, जिसे अहमद शाह दुर्रानी भी कहा जाता है, सन 1748 में नादिरशाह की मौत के बाद अफ़ग़ानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना. अब्दाली को अफ़ग़ान क़बीलों की पारंपरिक पंचायत जिरगा ने शाह बनाया था, जिसकी बैठक पश्तूनों के गढ़ कंधार में हुई थी. अहमद शाह अब्दाली ने 25 वर्ष तक शासन किया. ताजपोशी के वक़्त, साबिर शाह नाम के एक सूफ़ी दरवेश ने अहमद शाह अब्दाली को दुर-ए-दुर्रान का ख़िताब दिया था जिसका मतलब होता है मोतियों का मोती. इसके बाद से अहमद शाह अब्दाली और उसके क़बीले को दुर्रानी के नाम से जाना जाने लगा. अब्दाली, पश्तूनों और अफ़ग़ान लोगों का बेहद अहम क़बीला है. अहमद शाह अब्दाली के विशाल साम्राज्य का दायरा पश्चिम में ईरान से लेकर पूरब में हिंदुस्तान के सरहिंद तक था. उसकी बादशाहत उत्तर में मध्य एशिया के अमू दरिया के किनारे से लेकर दक्षिण में हिंद महासागर के तट तक फैली हुई थी.

भारत से कोहिनूर हीरा लुटने वाला लुटेरा नादिर शाह

नादिर शाह अफ़्शार या नादिर क़ुली बेग़ फ़ारस का शाह था और उसने सदियों के बाद क्षेत्र में ईरानी प्रभुता स्थापित की थी. उसने अपना जीवन दासता से आरंभ किया था और फ़ारस का शाह ही नहीं बना बल्कि उसने उस समय उसने रूसी साम्राज्य ईरानी क्षेत्रों से बाहर निकाला. उसने अफ़्शरी वंश की स्थापना की थी और उसका उदय उस समय हुआ जब ईरान में पश्चिम से उस्मानी साम्राज्य (ऑटोमन) का आक्रमण हो रहा था और पूरब से अफ़गानों ने सफ़ावी राजधानी इस्फ़हान पर अधिकार कर लिया था. उत्तर से रूस भी फ़ारस में साम्राज्य विस्तार की योजना बना रहा था. इस परिस्थिति में भी उसने अपनी सेना संगठित की और अपने सैन्य अभियानों की वज़ह से उसे फ़ारस का नेपोलियन या एशिया का अन्तिम महान सेनानायक जैसी उपाधियों से सम्मानित किया जाता है.

अंग्रेजों ने भारत को जी भरकर लूटा

ईस्ट इंडिया कंपनी: 24 सितंबर 1599 को शुक्रवार था. इस दिन, लंदन के फाउंडर्स हॉल में, इंग्लैंड के 80 व्यापारी इकट्ठा हुए थे. इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे लंदन के तत्कालीन ‘लॉर्ड मेयर’ अर्थात महापौर, सर निकोलस मूसली. इन व्यापारियों ने भारत की समृद्धि के अनेक किस्से सुन रखे थे. भारत से व्यापार कर के यूरोप के अनेक देश कैसे तरक्की कर रहे हैं, यह भी उनको दिख रहा था. स्वाभाविकत: इन सब की भारत के साथ व्यापार करने की इच्छा थी. इस बैठक में शामिल उन 80 व्यापारियों को यह यत्किंचित भी आभास नहीं था कि उनकी इस बैठक से, भविष्य में भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास और भूगोल दोनों बदलने जा रहा है. इन व्यापारियों ने इस बैठक में तय किया, कि इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ (प्रथम) के पास वे अपनी कंपनी प्रारंभ करने की अर्जी देंगे. इस कंपनी का नाम रहेगा- लंदन की ईस्ट इंडिया कंपनी.

11 March 2023

सहजानन्द सरस्वती

स्वामी सहजानन्द सरस्वती भारत के राष्ट्रवादी नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. स्वामी जी भारत में 'किसान आन्दोलन' के जनक थे. वे आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के 'दसनामी संन्यासी' अखाड़े के दण्डी संन्यासी थे. वे एक बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, इतिहासकार एवं किसान-नेता थे. 
ऐसे महान् संन्यासी, युगद्रष्टा और जननायक का जन्म उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले के देवा गांव में महाशिवरात्रि के दिन सन् 1889 ई. में हुआ था. स्वामीजी के बचपन का नाम नौरंग राय था. उनके पिता बेनी राय सामान्य किसान थे. बचपन में हीं माँ का साया उठ गया. लालन-पालन चाची ने किया. जलालाबाद के मदरसे में आरंभिक शिक्षा हुई. मेधावी नौरंग राय ने मिडिल परीक्षा में पूरे उत्तर प्रदेश में छठा स्थान प्राप्त किया.