23 January 2023

जीवन में कभी युद्ध ना हारने वाले महानयोद्धा बाजीराव पेशवा

"हर-हर महादेव" के युद्धघोष के साथ देश में अटक से लेकर कटक तक केसरिया ध्वज लहरा कर "हिन्दू स्वराज" लाने का जो सपना वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने देखा था, उसको काफी हद तक मराठा साम्राज्य के चौथे पेशवा या प्रधानमंत्री वीर बाजीराव प्रथम ने पूरा किया था. जिस वीर महायोद्धा बाजीराव पेशवा प्रथम के नाम से अंग्रेज शासक थर-थर कांपते थे, मुगल शासक बाजीराव से इतना डरते थे कि उनसे मिलने तक से भी घबराते थे. हिंदुस्तान के इतिहास में पेशवा बाजीराव प्रथम ही अकेले ऐसे महावीर महायोद्धा थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में 41 युद्ध लड़े और एक भी युद्ध नहीं हारा,

दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय

भारत के कॉलेज और विश्वविद्यालय आज भले ही विश्‍व के टॉप शैक्षणिक संस्‍थापनों में शामिल न हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब यह देश विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. भारत में ही दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय खुला था, जिसे हम नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जानते हैं. इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई. में हुई थी. नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केंद्र था. 
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में कुमारगुप्त प्रथम ने किया था. नालंदा को तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। वहीं, आवासीय परिसर के तौर पर यह पहला विश्वविद्यालय है, यह 800 साल तक अस्तित्व में रहा.

दुनिया का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला

आपको जान के शायद हैरानी होगी की दुनिया का सबसे पहला विश्वविद्यालय  प्राचीन भारत के तक्षशिला में बनया गया था. जो अब पाकिस्तान के पंजाब में चला गया है. 
तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 2700 साल पहले तक्षशिला में हुई थी. तक्षशिला विभाजन से पहले प्राचीन भारत में गांधार के राज्य में था, लेकिन अब तक्षशिला विभाजन के बाद पंजाब पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले में है. तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के 10,500 से अधिक छात्र अध्ययन करते थे. यहां 60 से भी अधिक विषयों को पढ़ाया जाता था. 326 ईस्वी पूर्व में विदेशी आक्रमणकारी सिकन्दर के आक्रमण के

22 January 2023

दुनिया का पहला गणतंत्र वैशाली



आज जब आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है तो हजारो साल पुरानी समृद्ध विरासत को भी स्मरण किया जाना चाहिए क्योकि भारत केवल 75 साल पुराना राष्ट्र नहीं है. भारत लोकतंत्र की जननी है और पूरी दुनिया में जहां भी गणतांत्रिक व्यवस्था लागू दिखती है, वो प्राचीन भारत की देन है. 
प्राचीन भारत में सबसे पहला गणराज्य वैशाली था. बिहार के इस प्रांत को वैशाली गणराज्य के नाम से जाना जाता था. ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक ईसा से लगभग छठी सदी पहले वैशाली में ही दुनिया का पहला गणतंत्र यानी ‘गणराज्य’ कायम हुआ था. 

भारत में राज्यों का पुनर्गठन

स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व भारतीय राज्य क्षेत्र दो वर्गों में विभक्त था- ब्रिटिश भारत और देशी रियासतें. ब्रिटिश भारत में 9 प्रांत थे, जबकि देशी रियासतों की संख्या 600 थी, जिनमें 565 रियासतों को छोड़कर शेष पाकिस्तान राज्य में शामिल हो गई. 565 रियासतों में से तीन रियासतों- जूनागढ़, हैदराबाद तथा जम्मू-कश्मीर को भारत में विलय कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. जूनागढ़ रियासत को जनमत संग्रह के आधार पर तब भारत में मिलाया गया, जब उसका शासक पाकिस्तान चला गया. हैदराबाद की रियासत को सैन्य कार्यवाही करके भारत में

पटेल की कूटनीति से हुआ भारत का एकीकरण

सन् 1947 में स्वतंत्र होने के बाद भारत स्वतंत्र रियासतों में बंटा हुआ था. 15 अगस्त 1947 की तारीख लार्ड लुई माउण्टबेटन ने जानबूझ कर तय की थी क्योंकि ये द्वितीय विश्व युद्ध में जापान द्वारा समर्पण करने की दूसरी वर्षगांठ थी. 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था, तब माउण्टबेटन सेना के साथ बर्मा के जंगलों में थे. इसी वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए माउण्टबेटन ने 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के लिए तय किया था. तब सरदार पटेल ने लगभग 565 देशी रियासतों को भारत में मिलाकर भारत को एक सूत्र में बांधा और भारत को मौजूदा स्वरूप दिया. 
सरदार पटेल तब

बिहार के मुंगेर में दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय, जानें इसका इतिहास

दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय होने का गौरव बिहार के मुंगेर स्थित योग आश्रम  को प्राप्त है. यहां से शिक्षा लेकर हर साल सैकड़ों योग साधक दुनिया भर में योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. मुंगेर जिले को योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है. 
मौजूदा वक्त की बात करें तो मुंगेर में विश्वविद्यालय तो नहीं रहा, लेकिन अभी भी यहां पर मुंगेर योगाश्रम संचालित हो रहा है. इसे बिहार योग विद्यालय यानि बिहार स्कूल ऑफ योगा (BSY) के नाम से जाना जाता है. इसकी स्थापना 1963 में सत्यानंद सरस्वती ने की थी. योगाचार्य, योग शिक्षक बनने के लिए यहां चतुर्मासिक सत्र का संचालन होता है.