26 November 2022

भारतीय संविधान के लेखक प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा

26 नवम्बर को भारत में हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था और 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया. 
क्या आप जानते हैं कि हमारा संविधान किसने लिखा? बहुत कम लोग जानते हैं कि संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी. डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी. इस काम में उन्हें 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गईं. हमारा संविधान न केवल हाथ से लिखा गया है, बल्कि शांति निकेतन के चित्रकारों ने इसके कवर से लेकर हर पन्ने को भी अपनी सुंदर कला से सजाया. यही वजह है कि भारतीय संविधान की अंग्रेजी में लिखी पांडुलिपि और उसका हिंदी अनुवाद संसद की लाइब्रेरी में दो विशेष बक्सों में रखे हुए हैं. कांच से बने इन पारदर्शी मगर सीलबंद बक्सों में नाइट्रोजन भरी है, जो पांडुलिपि के कागज को खराब नहीं होने देती. ये दोनों बॉक्स अमेरिका की एक कंपनी ने कैलिफोर्निया में बनाए थे.

07 September 2022

हेमचन्द्र विक्रमादित्य

हेमचन्द्र विक्रमादित्य  'हेमू' भारत का अंतिम हिन्दू राजा था. 'भारतीय इतिहास के वीर पुरुषों में वह गिना जाता है. "मध्यकालीन भारत का नेपोलियन" कहा जाने वाला हेमू अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर एक साधारण व्यापारी से प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष की पदवी तक पहुँचा था. यह ऐतिहासिक सफर उसने एक अजेय महानायक के रूप में पूरा किया था. उसके अपार पराक्रम तथा वीरता के कारण ही उसे 'विक्रमादित्य' की उपाधि मिली थी. हेमू शेरशाह सूरी का योग्य दीवान, कोषाध्यक्ष और सेनानायक था. शेरशाह की सफलता में उसकी प्रबंध कुशलता और वीरता का सबसे बड़ा हाथ रहा था. आर्थिक सूझ−बूझ में उसके समान कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था. हेमू ने अपना अंतिम युद्ध प्रसिद्ध पानीपत के मैदान में लड़ा. यह युद्ध वह मुग़ल सेनापति बैरम ख़ाँ की कूटनीतिक चाल से हार गया. आँख में एक तीर लग जाने से हेमू की सेना बिखर गई और उसे हार का सामना करना पड़ा.

02 September 2022

जयशंकर प्रसाद

जयशंकर प्रसाद  हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे. वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं. उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ीबोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और कामायनी तक पहुँचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया. बाद के, प्रगतिशील एवं नयी कविता दोनों धाराओं के, प्रमुख आलोचकों ने उसकी इस शक्तिमत्ता को स्वीकृति दी. इसका एक अतिरिक्त प्रभाव यह भी हुआ कि 'खड़ीबोली' हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी.

सुभद्रा कुमारी चौहान

सुभद्रा कुमारी चौहान (16 अगस्त 1904-15 फरवरी 1948) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं. झाँसी की रानी उनकी प्रसिद्ध कविता है. वे राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं. स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया. 
उनका जन्म नागपंचमी के दिन इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक गांव में रामनाथसिंह के जमींदार परिवार में हुआ था. बाल्यकाल से ही वे कविताएँ रचने लगी थीं. उनकी रचनाएँ राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण

31 August 2022

फणीश्वर नाथ 'रेणु'

फणीश्वर नाथ 'रेणु' एक हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे. इनके पहले उपन्यास मैला आंचल को बहुत ख्याति मिली थी, जिसके लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. फणीश्वर नाथ ' रेणु ' का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में हुआ था. उस समय यह पूर्णिया जिले में था. उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई. रेणु जी का बिहार के कटिहार से गहरा संबंध रहा है. पहली शादी कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड अंतर्गत बलुआ ग्राम में काशी नाथ विश्वास की पुत्री रेखा रेणु से हुई, हसनगंज के ही गांव महमदिया ग्राम में पद्मा रेणु की मायके हैं और रेणु जी के दो और पुत्री सबसे बड़ी कविता रॉय और सबसे छोटी

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे. हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं. उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था. उनकी कृति भारत-भारती  भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी. उनकी जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है. सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया. 
मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 में पिता सेठ रामचरण कनकने और माता काशी बाई

26 August 2022

रामधारी सिंह 'दिनकर'

रामधारी सिंह 'दिनकर'  हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे. वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं. 
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये. वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे. एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है. इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है. 'दिनकर' जी का जन्म 24 सितंबर 1908 को बिहार के

25 August 2022

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (27 जून 1838 - 8 अप्रैल 1894) बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे. भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था. रबीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है. 
आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ. इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी. इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे. बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे.

17 August 2022

चक्रवर्ती सम्राट भरत जिनके नाम पर देश का नाम भारत पड़ा


चक्रवर्ती सम्राट भरत जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र थे. जैन और हिन्दू पुराणों के अनुसार वह चक्रवर्ती सम्राट थे और उन्ही के नाम पर भारत का नाम "भारतवर्ष" पड़ा. 
जैन ग्रंथ "आदिपुराण" जिसके रचयिता आचार्य श्री जिनसेन स्वामी है ने सातवीं शताब्दी में लिखें गए आदिपुराण में प्रथम चक्रवर्ती भरत का विस्तार से वर्णन किया है. प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव और यशावती के पुत्र चक्रवर्ती भरत एक महान शासक थे जिनके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा. इनके बाहुबली, वृषभसेन, अनंतविजय, अनंतवीर्य, अच्युत, बरवीर आदि 99 भाई और ब्राह्मी एवं सुंदरी नाम की दो बहनें थी.

29 July 2022

लालबहादुर शास्त्री

लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे. वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे. इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा. शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की. भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. गोविंद बल्लभ पंत के मन्त्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया. परिवहन मन्त्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी. पुलिस मंत्री होने के बाद उन्होंने

इन्दिरा गाँधी

इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं. वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं. 
इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में हुआ था. इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं. इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था. इनका मोहनदास करमचंद गाँधी से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था. इनके दादा मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे. इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे.

15 July 2022

अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी  भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे. वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 मे और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. वे हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे. वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. 
वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे. अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)

14 July 2022

ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम जो मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति नाम से भी जाने जाते हैं, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे. वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में विख्यात थे. उन्होंने सिखाया जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हो पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं. कलाम के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. 
इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के

12 July 2022

पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरुषोत्तम दास टंडन आधुनिक भारत के प्रमुख स्वाधीनता सेनानियों में से एक थे. वे 'राजर्षि' के नाम से भी विख्यात थे. उन्होंने अपना जीवन एक वकील के रूप में प्रारम्भ किया था. हिन्दी को आगे बढ़ाने और इसे राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने के लिए पुरुषोत्तम दास जी ने काफ़ी प्रयास किये थे. वे हिन्दी को देश की आज़ादी के पहले आज़ादी प्राप्त करने का साधन मानते रहे और आज़ादी मिल जाने के बाद आज़ादी को बनाये रखने का. वर्ष 1950 में वे 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे. पुरुषोत्तम दास टंडन को भारत के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में नयी चेतना, नयी लहर, नयी क्रान्ति पैदा करने वाला कर्मयोगी कहा गया है. वर्ष 1961 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया था.

09 July 2022

वी के कृष्ण मेनन

वेंङालिल कृष्णन कृष्ण मेनोन जिन्हें सामान्यतः कृष्ण मेनोन कहा जाता है, एक भारतीय राष्ट्रवादी, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, तथा  भारत के पूर्रव क्षा मंत्री थे. 
मेनन का जन्म कोजीकोड, केरल में पन्नियंकरा में ब्रिटिश मालाबार के वेंगालिल परिवार में हुआ था. उनकी माता 1815 से 1817 के दौरान त्रावणकोर के दीवान रहे रमन मेनन की पौत्री थीं और गौरी पार्वती बाई की सेवा करती थीं. उनके पिता कोमाथु कृष्ण कुरुप कदाथनाडु के राजा के पुत्र थे और एक धनी तथा प्रभावशाली वकील थे. मेनन की प्रारंभिक शिक्षा थालास्सेरी में हुई तथा बी.ए. की उपाधि उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से प्राप्त की थी.

डॉ0 राममनोहर लोहिया

डॉ0 राममनोहर लोहिया भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे. 
डॉ0 राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या जनपद में (वर्तमान-अम्बेडकर नगर जनपद) अकबरपुर नामक स्थान में हुआ था. उनके पिताजी श्री हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे. ढाई वर्ष की आयु में ही उनकी माताजी चन्दा देवी का देहान्त हो गया. उन्हें दादी के अलावा सरयूदेई, (परिवार की नाईन) ने पाला. टंडन पाठशाला में चौथी तक पढ़ाई करने के बाद विश्वेश्वरनाथ हाईस्कूल में दाखिल हुए. उनके पिताजी गाँधीजी के अनुयायी थे. जब वे गांधीजी से मिलने जाते तो राम मनोहर को भी अपने साथ ले जाया करते थे. इसके कारण गांधीजी के विराट व्यक्तित्व का उन पर गहरा असर हुआ. 

08 July 2022

जेबी कृपलानी

जीवटराम भगवानदास कृपलानी  भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, गांधीवादी, समाजवादी, पर्यावरणवादी  राजनेता थे. 
उन्हें सम्मान से आचार्य कृपलानी कहा जाता था. वे सन् 1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जब भारत को आजादी मिली. जब भावी प्रधानमंत्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ तो तो सरदार पटेल के बाद सबसे अधिक मत उनको ही मिले थे. किन्तु गांधीजी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया. कृपलानी ने 1977 में जनता सरकार के गठन में अहम भूमिका निभायी. कृपलानी गांधीवादी दर्शन के एक प्रमुख व्याख्याता थे और उन्होंने इस विषय पर अनेक पुस्तकें लिखीं.

दुनिया के पहले बुद्धिस्ट न्यूरोसर्जन

जीवक कौमारभच्च प्राचीन भारत के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य थे. अनेक बौद्ध ग्रन्थों में उनके चिकित्सा-ज्ञान की व्यापक प्रशंसा मिलती है. वे बालरोगविशेषज्ञ थे. वे महात्मा बुद्ध के निजी वैद्य थे. वे मगध की राजधानी, राजगृह में राजा बिम्बिसार और वैशाली के मशहूर नगरवधू आम्रपाली के पुत्र के रूप में  जन्मे थे. बिम्बिसार और आम्रपाली के बीच अबैध सम्बन्ध था जिसके कारण लोक लाज से बचाने हेतु उन्हें एक कूड़े के ढेर पर फेंक दिया गया था. सौभाग्य से उस पर सम्राट बिम्बिसार के पुत्र कुमार अभय की दृष्टि पड़ गई. 
उसे देखकर उसके भीतर करुणा उमड़ आई. वह शिशु को उठाकर घर ले आया. बच्चे का नाम रखा- जीवक. उसे खूब पढ़ाया-लिखाया. 

05 July 2022

आचार्य विनोबा भावे

आचार्य विनोबा भावे भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे. उनका मूल नाम विनायक नारहरी भावे था. उन्हे भारत का राष्ट्रीय आध्यापक और महात्मा गांधी का अध्यात्मिक उत्तराधीकारी समझा जाता है. उन्होने अपने जीवन के आखरी वर्ष पोनार, महाराष्ट्र के आश्रम में गुजारे. उन्होंने भूदान आन्दोलन चलाया. इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल को 'अनुशासन पर्व' कहने के कारण वे विवाद में भी थे. विनोबा भावे का मूल नाम विनायक नरहरि भावे था. इनका जन्म 
11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के गागोदा गांव के चितपावन ब्राह्मण नरहरि भावे के घर हुआ था. उनकी माता रुक्मिणी बाई विदुषी महिला थीं. उनका बचपन का नाम था विनायक. मां उन्हें प्यार से विन्या कहकर बुलातीं. विनोबा नाम गांधी जी ने दिया था. महाराष्ट्र में नाम के पीछे ‘बा’ लगाने का जो चलन है, उसके अनुसार. तुकोबा, विठोबा और विनोबा.

कस्तूरबा गांधी

कस्तूरबा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी की पत्नी थी जो भारत में बा के नाम से विख्यात है. कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल सन् 1869 ई. में काठियावाड़ के पोरबंदर नगर में हुआ था. इस प्रकार कस्तूरबा गाँधी आयु में गाँधी जी से 6 महीने बड़ी थीं. कस्तूरबा गाँधी के पिता 'गोकुलदास मकनजी' साधारण स्थिति के व्यापारी थे. गोकुलदास मकनजी की कस्तूरबा तीसरी संतान थीं. उस जमाने में कोई लड़कियों को पढ़ाता तो था नहीं, विवाह भी अल्पवय में ही कर दिया जाता था. इसलिए कस्तूरबा भी बचपन में निरक्षर थीं और सात साल की अवस्था में 6 साल के मोहनदास के साथ उनकी सगाई कर दी गई. तेरह साल की आयु में उन दोनों का विवाह हो गया.

04 July 2022

जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है. इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने 'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया. वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है. 1998 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया. इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था. पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है. दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल' भी उनके नाम पर है.

30 June 2022

दुनिया के पहले योग गुरु महर्षि पतंजलि

महर्षि पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि थे जिन्हें संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है. ये दुनिया के पहले योग गुरु भी है. एक लोकप्रिय कहानी के अनुसार वह ऋषि अत्री और उनकी पत्नी अनुसूइया के पुत्र थे. 
इनका काल  200 ई. पूर्व माना जाता है. पतंजलि के ग्रंथों में लिखे उल्लेख से उनके काल का अंदाजा लगाया जाता है कि संभवतः राजा पुष्यमित्र शुंग के शासन काल 195 से 142 ई. पूर्व इनकी उपस्थिति थी. पतंजलि एक प्रख्यात चिकित्सक और रसायन शास्त्र के आचार्य थे. रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अभ्रक, धातुयोग और लौह्शास्त्र का परिचय कराने का श्रेय पतंजलि को जाता है. राजा भोज ने महर्षि पतंजलि को तन के साथ हीं मन के चिकित्सक की उपाधि से विभूषित किया था.

27 June 2022

वीर कुंवर सिंह

वीर कुंवर सिंह सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक थे. अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी बाबू कुंवर सिंह कुशल सेना नायक थे. इनको 80 वर्ष की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने के लिए जाना जाता है. 
वीर कुंवर सिंह का जन्म 13 नवम्बर 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव के एक क्षत्रिय जमीनदार परिवार में हुआ था. इनके पिता बाबू साहबजादा सिंह प्रसिद्ध परमार राजपूत शासक राजा भोज के वंशजों में से थे. उनके माताजी का नाम पंचरत्न कुंवर था.  1857 में अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम बढ़ाया. मंगल

मंगल पाण्डेय

मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे. तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है. 
मंगल पाण्डेय का जन्म भारत में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में एक "ब्राह्मण" परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था. ब्राह्मण होने के कारण मंगल पाण्डेय सन् 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना मे बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की 34वी बटालियन मे भर्ती किये गए, जिसमें ज्यादा संख्या मे ब्राह्मणो को भर्ती की जाती थी.

रानी अवन्तीबाई लोधी

रानी अवन्तीबाई लोधी भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रथम महिला शहीद वीरांगना थीं. रानी अवन्तिबाइ लोधी का जन्म 16 अगस्त 1831 में हुआ था. 1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी. 1857 के मुक्ति आंदोलन में इस राज्य की अहम भूमिका थी, जिससे भारत के इतिहास में एक नई क्रांति आई. 1817 से 1851 तक रामगढ़ राज्य के शासक लक्ष्मण सिंह थे. उनके निधन के बाद विक्रमाजीत सिंह ने राजगद्दी संभाली. उनका विवाह बाल्यावस्था में ही मनकेहणी के जमींदार राव जुझार सिंह की कन्या अवंतीबाई

रानी लक्ष्मीबाई

रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रान्ति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं. उन्होंने सिर्फ 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेज साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं. बताया जाता है कि सिर पर तलवार के वार से शहीद हुई थी लक्ष्मीबाई. 
लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था. उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था. उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था. 

24 June 2022

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक तथा विचारक थे. इनके अनुयायी इन्हें प्रायः 'गुरूजी' के ही नाम से अधिक जानते हैं. हिन्दुत्व की विचारधारा का प्रवर्तन करने वालों उनका नाम प्रमुख है. वे संघ के कुछ आरम्भिक नेताओं में से एक हैं. 
उनका जन्म फाल्गुन मास की एकादशी विक्रमी संवत् 1963 तदनुसार 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था. वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे. उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य 'भाऊ जी' तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य 'ताई' था. उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे. पिता सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में 1908 में अध्यापक पद पर हो गयी.

डा0 केशव राव बलीराम हेडगेवार

डा0 केशव राव बलीराम हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे. इनका जन्म नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हिन्दू वर्ष प्रतिपदा के दिन 1 अप्रैल 1889 के दिन हुआ था. बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृति के थे और उन्हें अंग्रेज शासको से घृणा थी. अभी विद्यालय में ही पढ़ते थे कि अंग्रेज इंस्पेक्टर के स्कूल में निरिक्षण के लिए आने पर केशव राव ने अपने कुछ सहपाठियों के साथ उनका “वन्दे मातरम्” जयघोष से स्वागत किया जिस पर वह बिफर गया और उसके आदेश पर केशव राव को स्कूल से निकाल दिया गया. तब उन्होंने मैट्रिक तक अपनी पढाई पूना के नेशनल स्कूल में पूरी की. 
1910 में

विनायक दामोदर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर  भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसुधारक, इतिहासकार, राष्ट्रवादी नेता तथा विचारक थे. उन्हें प्रायः स्वातन्त्र्यवीर और वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है. हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा ('हिन्दुत्व') को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है. वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी थे. उन्होंने परिवर्तित हिन्दुओं के हिन्दू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं इसके लिए आन्दोलन चलाये. उन्होंने भारत की एक सामूहिक "हिन्दू" पहचान बनाने के लिए हिन्दुत्व का

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे. वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी. वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे. राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए. 
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के "नगला चन्द्रभान" ग्राम में हुआ था. उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था, जो नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी थे.

23 June 2022

डॉ0 श्यामाप्रसाद मुखर्जी

डॉ0 श्यामाप्रसाद मुखर्जी शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे. 
6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म हुआ. उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे. डॉ0 मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा 1921 में बी०ए० की उपाधि प्राप्त की. 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गये और 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे. अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली थी. 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने. इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे. एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गयी.

मदनलाल ढींगरा

मदनलाल ढींगरा भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे. भारतीय स्वतंत्रता की चिनगारी को अग्नि में बदलने का श्रेय महान शहीद मदन लाल धींगरा को ही जाता है. भले ही मदन लाल ढींगरा के परिवार में राष्ट्रभक्ति की कोई ऐसी परंपरा नहीं थी किंतु वह खुद से ही देश भक्ति के रंग में रंगे गए थे. वे इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी. कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 23 जुलाई, 1909 का अभियोग चलाया गया. मदन लाल ढींगरा ने अदालत में खुले शब्दों में कहा कि "मुझे गर्व है कि मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं." यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की कुछेक प्रथम घटनाओं में से एक है.

13 June 2022

मोतीलाल नेहरू

मोतीलाल नेहरू प्रयागराज के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता एवं ब्रिटिशकालीन राजनेता थे. वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे. वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे. जलियांवाला बाग काण्ड के बाद 1919 में अमृतसर में हुई कांग्रेस के वे पहली बार अध्यक्ष बने और फिर 1928 में कलकत्ता में दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 
मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को आगरा में हुआ था. उनके पिता का नाम गंगाधर था. वह पश्चिमी ढँग की शिक्षा पाने वाले प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने भारतीयों में से थे. वह इलाहाबाद के म्योर केंद्रीय महाविद्यालय में शिक्षित हुए किन्तु बी०ए० की अन्तिम परीक्षा नहीं दे पाये. बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज से "बार ऐट लॉ" की उपाधि ली और अंग्रेजी न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ किया.

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ (22 अक्टूबर 1900 – 19 दिसम्बर 1927) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के स्वतंत्रता सेनानी थे. 
ख़ान का जन्म शाहजहाँपुर में शफ़िक़ुल्लाह खान और मज़रुनिस्सा के घर एक मुस्लिम पठान परिवार में हुआ था. वो छः भाई बहनों में सबसे छोटे थे. वर्ष 1920 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया. लेकिन वर्ष 1922 में चौरी चौरा कांड के बाद महात्मा गांधी ने आन्दोलन वापस ले लिया. इस स्थिति में खान सहित विभिन्न युवा लोग खिन्न हुये. इसके बाद खान ने समान विचारों वाले स्वतंत्रता सेनानियों से मिलकर नया संगठन बनाने का निर्णय लिया और वर्ष 1924 में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया.

राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी. वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे. राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे. उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर शहर  में 11 जून 1897 को ब्राह्मण परिवार में जन्मे राम प्रसाद बिस्मिल शायर, कवि और लेखक थे. 19 साल की उम्र में नाम के आगे बिस्मिल लगाकर उन्होंने उर्दू और हिन्दी को एक साथ मिलाकर देशभक्ति की जोश भर देने वाली कविताएं लिखना शुरू किया था. अंग्रेजों के खिलाफ 9 अगस्त 1925 को घटे काकोरी कांड के लिए उनको हमेशा याद किया जाता है. ट्रेन लूट के इस साहसी कदम के साथ रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी, रोशन सिंह और अन्य कई क्रांतिकारियों का नाम जुड़ा है.

10 June 2022

गोपाल कृष्ण गोखले

गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 - 19 फरवरी, 1915) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे. महादेव गोविन्द रानाडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे. चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णतः सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके. उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है. महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे.

दादाभाई नौरोजी

दादाभाई नौरोजी (4 सितम्बर 1825 -- 30 जून 1917) ब्रिटिशकालीन भारत के एक पारसी बुद्धिजीवी, शिक्षाशास्त्री, कपास के व्यापारी तथा आरम्भिक राजनैतिक एवं सामाजिक नेता थे. उन्हें 'भारत का वयोवृद्ध पुरुष' कहा जाता है. 
दादाभाई नौरोजी ने भारत में विश्वविद्यालयों की स्थापना के पूर्व के दिनों में एलफिंस्टन इंस्टीटयूट में शिक्षा पाई जहाँ के ये मेधावी छात्र थे. उसी संस्थान में अध्यापक के रूप में जीवन आरंभ कर आगे चलकर वहीं वे गणित के प्रोफेसर हुए, जो उन दिनों भारतीयों के लिए शैक्षणिक संस्थाओं में सर्वोच्च पद था. साथ में उन्होंने समाजसुधार कार्यों में अग्रगामी और कई धार्मिक तथा साहित्य संघटनों के, यथा "स्टूडेंट्स लिटरेरी ऐंड सांइटिफिक सोसाइटी के,

जवाहरलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे. महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया. वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार माने जाते हैं. कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाए जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं.

प्रफुल्ल चाकी

प्रफुल्ल चाकी  (10 दिसम्बर 1888 - 1 मई 1908) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं महान क्रान्तिकारी थे. भारतीय स्वतन्त्रता के क्रान्तिकारी संघर्ष में उनका नाम अत्यन्त सम्मान के साथ लिया जाता है. 
प्रफुल्ल का जन्म उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में स्थित) के बिहारी गाँव में हुआ था. जब प्रफुल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया. उनकी माता ने अत्यन्त कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन-पोषण किया. विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानन्द द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी

खुदीराम बोस

खुदीराम बोस भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में भारतवर्ष की स्वतन्त्रता के लिए फाँसी पर चढ़ गये. 
कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे. लेकिन खुदीराम से पूर्व 17 जनवरी 1872 को 68 कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय 13 वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था. उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नंबर 50वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढ़ी कसकर पकड़ ली और तब तक नहीं छोड़ी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गए बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था.

डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर डॉ0 बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे. उन्होंने दलित बौद्ध आन्दोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था. श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था. वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे. आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था. वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान थे. उनका परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूूल का था और वो वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गाँव का निवासी था. वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी और इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था.

09 June 2022

सरदार वल्लभ भाई पटेल

वल्लभ भाई पटेल जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे. उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया. भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है "प्रमुख". उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया.

सुखदेव

सुखदेव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे जिनका पूरा नाम सुखदेव थापर था. सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को गोपरा, लुधियाना, पंजाब में हुआ था. उनके पिता का नाम रामलाल थापर था, जो अपने व्यवसाय के कारण लायलपुर (वर्तमान फैसलाबाद, पाकिस्तान) में रहते थे. इनकी माता रल्ला देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं. दुर्भाग्य से जब सुखदेव तीन वर्ष के थे, तभी इनके पिताजी का देहांत हो गया. इनका लालन-पालन इनके ताऊ लाला अचिन्त राम ने किया. वे आर्य समाज से प्रभावित थे तथा समाज सेवा व देशभक्तिपूर्ण कार्यों में अग्रसर रहते थे. इसका प्रभाव बालक सुखदेव पर भी पड़ा. जब बच्चे गली-मोहल्ले में शाम को खेलते तो सुखदेव अस्पृश्य कहे जाने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करते थे. 

राजगुरु

शिवराम हरि राजगुरु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फाँसी पर लटका दिया गया था. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी. शिवराम हरि राजगुरु का जन्म सन् 1908 में पुणे जिला के खेडा गाँव में हुआ था. इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था. राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था. इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया. राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे. भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था. इस कारण अंग्रेज़ों से घृणा तो स्वाभाविक ही थी. ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे. राजगुरु का

08 June 2022

भगत सिंह

भगत सिंह भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे. चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया. पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की. इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया. जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें  मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया.

चन्द्रशेखर आजाद

चन्द्रशेखर आजाद भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे. वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे. 
चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर, जिला-अलीराजपुर, मध्यपदेश) में एक ब्राह्मण परिवार में 23 जुलाई सन् 1906 को हुआ था. आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी अकाल के समय अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर कुछ दिनों तक मध्य प्रदेश के अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे फिर जाकर भाबरा गाँव में बस गये. यहीं बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता. उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था. आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में बीता. अतएव बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष-बाण चलाये. इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी. 

सुभाष चन्द्र बोस

आज स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था. जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे. अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था. सुभाष चन्द्र बोस 
कटक के प्रोटेस्टेण्ट स्कूल से प्राइमरी शिक्षा पूर्ण कर 1909 में  रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया. कॉलेज के प्रिन्सिपल बेनीमाधव दास के व्यक्तित्व का सुभाष के मन पर अच्छा प्रभाव पड़ा. मात्र

महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (जन्म: 2 अक्टूबर 1869 - निधन: 30 जनवरी 1948) जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे. वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरे विश्व में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया. उन्हें संसार में साधारण जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती

07 June 2022

विपिनचंद्र पाल

बिपिन चंद्र पाल (7 नवंबर, 1858 - २० मई 1932) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा भारत में क्रान्तिकारी विचारों के जनक थे. भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है. 7
 नवंबर 1858 को अविभाजित भारत के हबीबगंज जिले में (अब बांग्लादेश में) एक संपन्न कायस्थ जाति घर में पैदा विपिनचंद्र पाल सार्वजनिक जीवन के अलावा अपने निजी जीवन में भी अपने

बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक ( 23 जुलाई 1856 - 1 अगस्त 1920), एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे. ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे. उन्हें, "लोकमान्य" के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत. 
लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे. उनका दिया गया नारा "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा" बहुत प्रसिद्ध हुआ. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष और वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै शामिल थे.

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय

लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865 – 17 नवम्बर 1928) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है. उनके पिता लाला राधाकृष्ण अग्रवाल पेशे से अध्यापक और उर्दू के प्रसिद्ध लेखक थे. प्रारंभ से ही लाजपत राय लेखन और भाषण में बहुत रुचि लेते थे. उन्होंने हिसार और लाहौर में वकालत शुरू की. लाला लाजपतराय को शेर-ए-पंजाब का सम्मानित संबोधन देकर लोग उन्हे गरम दल का नेता मानते थे. लाला लाजपतराय स्वावलंबन से स्वराज्य लाना चाहते थे. 
1897 और 1899 में उन्होंने देश में आए अकाल में पीड़ितों की तन, मन और धन से सेवा की. देश में आए भूकंप, अकाल के समय ब्रिटिश शासन ने कुछ नहीं किया. लाला जी ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अनेक स्थानों पर अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (27 जून 1838 - 8 अप्रैल 1894) बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे. भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था. रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है. 
आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ. इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी. इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे. बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे.