30 June 2022

दुनिया के पहले योग गुरु महर्षि पतंजलि

महर्षि पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि थे जिन्हें संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है. ये दुनिया के पहले योग गुरु भी है. एक लोकप्रिय कहानी के अनुसार वह ऋषि अत्री और उनकी पत्नी अनुसूइया के पुत्र थे. 
इनका काल  200 ई. पूर्व माना जाता है. पतंजलि के ग्रंथों में लिखे उल्लेख से उनके काल का अंदाजा लगाया जाता है कि संभवतः राजा पुष्यमित्र शुंग के शासन काल 195 से 142 ई. पूर्व इनकी उपस्थिति थी. पतंजलि एक प्रख्यात चिकित्सक और रसायन शास्त्र के आचार्य थे. रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अभ्रक, धातुयोग और लौह्शास्त्र का परिचय कराने का श्रेय पतंजलि को जाता है. राजा भोज ने महर्षि पतंजलि को तन के साथ हीं मन के चिकित्सक की उपाधि से विभूषित किया था.

27 June 2022

वीर कुंवर सिंह

वीर कुंवर सिंह सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक थे. अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी बाबू कुंवर सिंह कुशल सेना नायक थे. इनको 80 वर्ष की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने के लिए जाना जाता है. 
वीर कुंवर सिंह का जन्म 13 नवम्बर 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव के एक क्षत्रिय जमीनदार परिवार में हुआ था. इनके पिता बाबू साहबजादा सिंह प्रसिद्ध परमार राजपूत शासक राजा भोज के वंशजों में से थे. उनके माताजी का नाम पंचरत्न कुंवर था.  1857 में अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर कदम बढ़ाया. मंगल

मंगल पाण्डेय

मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे. तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है. 
मंगल पाण्डेय का जन्म भारत में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में एक "ब्राह्मण" परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था. ब्राह्मण होने के कारण मंगल पाण्डेय सन् 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना मे बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की 34वी बटालियन मे भर्ती किये गए, जिसमें ज्यादा संख्या मे ब्राह्मणो को भर्ती की जाती थी.

रानी अवन्तीबाई लोधी

रानी अवन्तीबाई लोधी भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रथम महिला शहीद वीरांगना थीं. रानी अवन्तिबाइ लोधी का जन्म 16 अगस्त 1831 में हुआ था. 1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी. 1857 के मुक्ति आंदोलन में इस राज्य की अहम भूमिका थी, जिससे भारत के इतिहास में एक नई क्रांति आई. 1817 से 1851 तक रामगढ़ राज्य के शासक लक्ष्मण सिंह थे. उनके निधन के बाद विक्रमाजीत सिंह ने राजगद्दी संभाली. उनका विवाह बाल्यावस्था में ही मनकेहणी के जमींदार राव जुझार सिंह की कन्या अवंतीबाई

रानी लक्ष्मीबाई

रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रान्ति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं. उन्होंने सिर्फ 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेज साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं. बताया जाता है कि सिर पर तलवार के वार से शहीद हुई थी लक्ष्मीबाई. 
लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था. उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था. उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था. 

24 June 2022

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक तथा विचारक थे. इनके अनुयायी इन्हें प्रायः 'गुरूजी' के ही नाम से अधिक जानते हैं. हिन्दुत्व की विचारधारा का प्रवर्तन करने वालों उनका नाम प्रमुख है. वे संघ के कुछ आरम्भिक नेताओं में से एक हैं. 
उनका जन्म फाल्गुन मास की एकादशी विक्रमी संवत् 1963 तदनुसार 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था. वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे. उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य 'भाऊ जी' तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य 'ताई' था. उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे. पिता सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में 1908 में अध्यापक पद पर हो गयी.

डा0 केशव राव बलीराम हेडगेवार

डा0 केशव राव बलीराम हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे. इनका जन्म नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हिन्दू वर्ष प्रतिपदा के दिन 1 अप्रैल 1889 के दिन हुआ था. बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृति के थे और उन्हें अंग्रेज शासको से घृणा थी. अभी विद्यालय में ही पढ़ते थे कि अंग्रेज इंस्पेक्टर के स्कूल में निरिक्षण के लिए आने पर केशव राव ने अपने कुछ सहपाठियों के साथ उनका “वन्दे मातरम्” जयघोष से स्वागत किया जिस पर वह बिफर गया और उसके आदेश पर केशव राव को स्कूल से निकाल दिया गया. तब उन्होंने मैट्रिक तक अपनी पढाई पूना के नेशनल स्कूल में पूरी की. 
1910 में

विनायक दामोदर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर  भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसुधारक, इतिहासकार, राष्ट्रवादी नेता तथा विचारक थे. उन्हें प्रायः स्वातन्त्र्यवीर और वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है. हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा ('हिन्दुत्व') को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है. वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी थे. उन्होंने परिवर्तित हिन्दुओं के हिन्दू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं इसके लिए आन्दोलन चलाये. उन्होंने भारत की एक सामूहिक "हिन्दू" पहचान बनाने के लिए हिन्दुत्व का

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे. वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी. वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे. राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए. 
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के "नगला चन्द्रभान" ग्राम में हुआ था. उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था, जो नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी थे.

23 June 2022

डॉ0 श्यामाप्रसाद मुखर्जी

डॉ0 श्यामाप्रसाद मुखर्जी शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे. 
6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म हुआ. उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे. डॉ0 मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा 1921 में बी०ए० की उपाधि प्राप्त की. 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गये और 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे. अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली थी. 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने. इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे. एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गयी.

मदनलाल ढींगरा

मदनलाल ढींगरा भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे. भारतीय स्वतंत्रता की चिनगारी को अग्नि में बदलने का श्रेय महान शहीद मदन लाल धींगरा को ही जाता है. भले ही मदन लाल ढींगरा के परिवार में राष्ट्रभक्ति की कोई ऐसी परंपरा नहीं थी किंतु वह खुद से ही देश भक्ति के रंग में रंगे गए थे. वे इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी. कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 23 जुलाई, 1909 का अभियोग चलाया गया. मदन लाल ढींगरा ने अदालत में खुले शब्दों में कहा कि "मुझे गर्व है कि मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं." यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की कुछेक प्रथम घटनाओं में से एक है.

13 June 2022

मोतीलाल नेहरू

मोतीलाल नेहरू प्रयागराज के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता एवं ब्रिटिशकालीन राजनेता थे. वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे. वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे. जलियांवाला बाग काण्ड के बाद 1919 में अमृतसर में हुई कांग्रेस के वे पहली बार अध्यक्ष बने और फिर 1928 में कलकत्ता में दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 
मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को आगरा में हुआ था. उनके पिता का नाम गंगाधर था. वह पश्चिमी ढँग की शिक्षा पाने वाले प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने भारतीयों में से थे. वह इलाहाबाद के म्योर केंद्रीय महाविद्यालय में शिक्षित हुए किन्तु बी०ए० की अन्तिम परीक्षा नहीं दे पाये. बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज से "बार ऐट लॉ" की उपाधि ली और अंग्रेजी न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ किया.

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ

अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ (22 अक्टूबर 1900 – 19 दिसम्बर 1927) भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के स्वतंत्रता सेनानी थे. 
ख़ान का जन्म शाहजहाँपुर में शफ़िक़ुल्लाह खान और मज़रुनिस्सा के घर एक मुस्लिम पठान परिवार में हुआ था. वो छः भाई बहनों में सबसे छोटे थे. वर्ष 1920 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया. लेकिन वर्ष 1922 में चौरी चौरा कांड के बाद महात्मा गांधी ने आन्दोलन वापस ले लिया. इस स्थिति में खान सहित विभिन्न युवा लोग खिन्न हुये. इसके बाद खान ने समान विचारों वाले स्वतंत्रता सेनानियों से मिलकर नया संगठन बनाने का निर्णय लिया और वर्ष 1924 में हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया.

राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी. वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे. राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे. उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर शहर  में 11 जून 1897 को ब्राह्मण परिवार में जन्मे राम प्रसाद बिस्मिल शायर, कवि और लेखक थे. 19 साल की उम्र में नाम के आगे बिस्मिल लगाकर उन्होंने उर्दू और हिन्दी को एक साथ मिलाकर देशभक्ति की जोश भर देने वाली कविताएं लिखना शुरू किया था. अंग्रेजों के खिलाफ 9 अगस्त 1925 को घटे काकोरी कांड के लिए उनको हमेशा याद किया जाता है. ट्रेन लूट के इस साहसी कदम के साथ रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी, रोशन सिंह और अन्य कई क्रांतिकारियों का नाम जुड़ा है.

10 June 2022

गोपाल कृष्ण गोखले

गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 - 19 फरवरी, 1915) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे. महादेव गोविन्द रानाडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे. चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णतः सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके. उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है. महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे.

दादाभाई नौरोजी

दादाभाई नौरोजी (4 सितम्बर 1825 -- 30 जून 1917) ब्रिटिशकालीन भारत के एक पारसी बुद्धिजीवी, शिक्षाशास्त्री, कपास के व्यापारी तथा आरम्भिक राजनैतिक एवं सामाजिक नेता थे. उन्हें 'भारत का वयोवृद्ध पुरुष' कहा जाता है. 
दादाभाई नौरोजी ने भारत में विश्वविद्यालयों की स्थापना के पूर्व के दिनों में एलफिंस्टन इंस्टीटयूट में शिक्षा पाई जहाँ के ये मेधावी छात्र थे. उसी संस्थान में अध्यापक के रूप में जीवन आरंभ कर आगे चलकर वहीं वे गणित के प्रोफेसर हुए, जो उन दिनों भारतीयों के लिए शैक्षणिक संस्थाओं में सर्वोच्च पद था. साथ में उन्होंने समाजसुधार कार्यों में अग्रगामी और कई धार्मिक तथा साहित्य संघटनों के, यथा "स्टूडेंट्स लिटरेरी ऐंड सांइटिफिक सोसाइटी के,

जवाहरलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे. महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया. वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार माने जाते हैं. कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाए जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं.

प्रफुल्ल चाकी

प्रफुल्ल चाकी  (10 दिसम्बर 1888 - 1 मई 1908) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं महान क्रान्तिकारी थे. भारतीय स्वतन्त्रता के क्रान्तिकारी संघर्ष में उनका नाम अत्यन्त सम्मान के साथ लिया जाता है. 
प्रफुल्ल का जन्म उत्तरी बंगाल के बोगरा जिला (अब बांग्लादेश में स्थित) के बिहारी गाँव में हुआ था. जब प्रफुल्ल दो वर्ष के थे तभी उनके पिता जी का निधन हो गया. उनकी माता ने अत्यन्त कठिनाई से प्रफुल्ल का पालन-पोषण किया. विद्यार्थी जीवन में ही प्रफुल्ल का परिचय स्वामी महेश्वरानन्द द्वारा स्थापित गुप्त क्रांतिकारी

खुदीराम बोस

खुदीराम बोस भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में भारतवर्ष की स्वतन्त्रता के लिए फाँसी पर चढ़ गये. 
कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे. लेकिन खुदीराम से पूर्व 17 जनवरी 1872 को 68 कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय 13 वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था. उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नंबर 50वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढ़ी कसकर पकड़ ली और तब तक नहीं छोड़ी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गए बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था.

डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर डॉ0 बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे. उन्होंने दलित बौद्ध आन्दोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था. श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था. वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे. आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था. वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान थे. उनका परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूूल का था और वो वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गाँव का निवासी था. वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी और इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था.

09 June 2022

सरदार वल्लभ भाई पटेल

वल्लभ भाई पटेल जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे. उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया. भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है "प्रमुख". उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया.

सुखदेव

सुखदेव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे जिनका पूरा नाम सुखदेव थापर था. सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को गोपरा, लुधियाना, पंजाब में हुआ था. उनके पिता का नाम रामलाल थापर था, जो अपने व्यवसाय के कारण लायलपुर (वर्तमान फैसलाबाद, पाकिस्तान) में रहते थे. इनकी माता रल्ला देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं. दुर्भाग्य से जब सुखदेव तीन वर्ष के थे, तभी इनके पिताजी का देहांत हो गया. इनका लालन-पालन इनके ताऊ लाला अचिन्त राम ने किया. वे आर्य समाज से प्रभावित थे तथा समाज सेवा व देशभक्तिपूर्ण कार्यों में अग्रसर रहते थे. इसका प्रभाव बालक सुखदेव पर भी पड़ा. जब बच्चे गली-मोहल्ले में शाम को खेलते तो सुखदेव अस्पृश्य कहे जाने वाले बच्चों को शिक्षा प्रदान करते थे. 

राजगुरु

शिवराम हरि राजगुरु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फाँसी पर लटका दिया गया था. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी. शिवराम हरि राजगुरु का जन्म सन् 1908 में पुणे जिला के खेडा गाँव में हुआ था. इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था. राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था. इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया. राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे. भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था. इस कारण अंग्रेज़ों से घृणा तो स्वाभाविक ही थी. ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे. राजगुरु का

08 June 2022

भगत सिंह

भगत सिंह भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे. चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया. पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की. इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया. जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें  मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया.

चन्द्रशेखर आजाद

चन्द्रशेखर आजाद भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे. वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे. 
चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर, जिला-अलीराजपुर, मध्यपदेश) में एक ब्राह्मण परिवार में 23 जुलाई सन् 1906 को हुआ था. आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी अकाल के समय अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर कुछ दिनों तक मध्य प्रदेश के अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे फिर जाकर भाबरा गाँव में बस गये. यहीं बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता. उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था. आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में बीता. अतएव बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष-बाण चलाये. इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी. 

सुभाष चन्द्र बोस

आज स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था. जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे. अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था. सुभाष चन्द्र बोस 
कटक के प्रोटेस्टेण्ट स्कूल से प्राइमरी शिक्षा पूर्ण कर 1909 में  रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया. कॉलेज के प्रिन्सिपल बेनीमाधव दास के व्यक्तित्व का सुभाष के मन पर अच्छा प्रभाव पड़ा. मात्र

महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (जन्म: 2 अक्टूबर 1869 - निधन: 30 जनवरी 1948) जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे. वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरे विश्व में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया. उन्हें संसार में साधारण जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती

07 June 2022

विपिनचंद्र पाल

बिपिन चंद्र पाल (7 नवंबर, 1858 - २० मई 1932) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा भारत में क्रान्तिकारी विचारों के जनक थे. भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है. 7
 नवंबर 1858 को अविभाजित भारत के हबीबगंज जिले में (अब बांग्लादेश में) एक संपन्न कायस्थ जाति घर में पैदा विपिनचंद्र पाल सार्वजनिक जीवन के अलावा अपने निजी जीवन में भी अपने

बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक ( 23 जुलाई 1856 - 1 अगस्त 1920), एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे. ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे. उन्हें, "लोकमान्य" के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत. 
लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे. उनका दिया गया नारा "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा" बहुत प्रसिद्ध हुआ. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष और वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै शामिल थे.

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय

लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865 – 17 नवम्बर 1928) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है. उनके पिता लाला राधाकृष्ण अग्रवाल पेशे से अध्यापक और उर्दू के प्रसिद्ध लेखक थे. प्रारंभ से ही लाजपत राय लेखन और भाषण में बहुत रुचि लेते थे. उन्होंने हिसार और लाहौर में वकालत शुरू की. लाला लाजपतराय को शेर-ए-पंजाब का सम्मानित संबोधन देकर लोग उन्हे गरम दल का नेता मानते थे. लाला लाजपतराय स्वावलंबन से स्वराज्य लाना चाहते थे. 
1897 और 1899 में उन्होंने देश में आए अकाल में पीड़ितों की तन, मन और धन से सेवा की. देश में आए भूकंप, अकाल के समय ब्रिटिश शासन ने कुछ नहीं किया. लाला जी ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अनेक स्थानों पर अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (27 जून 1838 - 8 अप्रैल 1894) बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे. भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था. रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है. 
आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ. इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी. इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे. बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे.

रबीन्द्रनाथ टैगोर

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं. उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फुकी और एशिया में प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए. वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं. 
रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ. उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं. उनकी आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई. उन्होंने बैरिस्टर बनने की इच्छा से 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में नाम लिखाया फिर लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया किन्तु 1880 में बिना डिग्री प्राप्त किए ही स्वदेश पुनः लौट आए. सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ.

02 June 2022

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानन्द  (जन्म: 12 जनवरी 1863 - मृत्यु: 4 जुलाई 1902) वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था. उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा. उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है. वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे. उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था किन्तु उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण का आरम्भ "मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों" के साथ करने के लिये जाना जाता है. उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था.

रामकृष्ण परमहंस

रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक थे. इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया. उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया. स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे. साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं. वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं. 
मानवीय मूल्यों के पोषक संत रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर

दुनिया में खगोलशास्त्र के जनक एंव दुनिया के पहले खगोलशास्त्री आर्यभट्ट

आर्यभट्ट  (476-450) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद्, खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे. इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र एंव खगोलशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है. इसी ग्रंथ में इन्होंने अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 लिखा है. बिहार में वर्तमान पटना का प्राचीन नाम कुसुमपुर था लेकिन आर्यभट का कुसुमपुर दक्षिण में था, यह अब लगभग सिद्ध हो चुका है. 
एक अन्य मान्यता के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था. उन्होंने लम्बी यात्रा करके आधुनिक पटना के समीप कुसुमपुर में अवस्थित होकर राजसान्निध्य में अपनी रचनाएँ पूर्ण की. इनकी उत्पत्ति भट्ट ब्रह्मभटट ब्राह्मण समुदाय में मानी जाती है.

01 June 2022

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को 
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले के वीरसिंह गाँव में एक अति निर्धन ब्राम्हण परिवार में हुआ था. पिता का नाम ठाकुरदास वन्द्योपाध्याय था. तीक्ष्णबुद्धि पुत्र को गरीब पिता ने विद्या के प्रति रुचि ही विरासत में प्रदान की थी. नौ वर्ष की अवस्था में बालक ने पिता के साथ पैदल कोलकाता जाकर संस्कृत कालेज में विद्यारम्भ किया. शारीरिक अस्वस्थता, घोर आर्थिक कष्ट तथा गृहकार्य के बावजूद ईश्वरचंद्र ने प्रायः प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. उनके बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्द्योपाध्याय था. संस्कृत भाषा और दर्शन में अगाध पाण्डित्य के कारण विद्यार्थी जीवन में ही संस्कृत कॉलेज ने उन्हें 'विद्यासागर' की उपाधि प्रदान की थी. 

राजा राम मोहन राय

राजा राममोहन रॉय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है. इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था. भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है. वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे. उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की. उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया. 

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती आधुनिक भारत के चिन्तक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे. उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' था. दयानन्द सरस्वती का जन्म 12 फ़रवरी टंकारा में सन् 1824 में मोरबी (मुम्बई की मोरवी रियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र (जिला राजकोट), गुजरात में हुआ था. उनके पिता का नाम करशनजी लालजी तिवारी और माँ का नाम यशोदाबाई था. उनके पिता एक कर-कलेक्टर होने के साथ ब्राह्मण परिवार के समृद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति थे. इनका जन्म धनु राशि और मूल नक्षत्र मे हुआ था इसीलिए स्वामी दयानन्द सरस्वती का असली नाम मूलशंकर था और उनका प्रारम्भिक जीवन बहुत आराम से बीता. आगे चलकर एक पण्डित बनने के लिए वे संस्कृत, वेद, शास्त्रों व अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गए.