30 August 2023

दुनिया में ज्योतिषशास्त्र के जनक महर्षि पराशर

ज्‍योतिष या ज्यौतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है. प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय को ही ज्‍योतिष कहा गया था. भारतीय आर्यो में ज्योतिष विद्या का ज्ञान अत्यन्त प्राचीन काल से था. यज्ञों की तिथि आदि निश्चित करने में इस विद्या का प्रयोग किया जाता था. इसमें कोई संदेह नहीं कि आज से हजारो वर्ष पहले हिंदुओं को नक्षत्र अयन आदि का ज्ञान था और वे यज्ञों के लिये पत्रा बनाते थे.
पूर्व काल में देशान्तर लंका या उज्जयिनी से लिया जाता था. भारतीय ज्योतिषी गणना के लिये पृथ्वी को ही केंद्र मानकर चलते थे और ग्रहों की स्पष्ट स्थिति या गति लेते थे. इससे ग्रहों की कक्षा आदि के संबंध में उनकी और आज की गणना में कुछ अन्तर पड़ता है.

दुनिया में वास्तुशास्त्र के जनक विश्वकर्मा

वास्तुशास्त्र घर, भवन अथवा मन्दिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जाता है. जीवन में जिन वस्तुओं का हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होता है उन वस्तुओं को किस प्रकार से रखा जाए यही वास्तुशास्त्र बताता है. उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं. वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं. आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है. इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं

दुनिया में संस्कृत व्याकरण के जनक पाणिनि

संस्कृत को देववाणी और आदिभाषा कहा जाता है. इसे न केवल भारत बल्कि प्राचीनतम और श्रेष्ठतम भाषा माना गया है. हिंदू धर्म के लगभग सभी धार्मिक ग्रंथों को संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है. आज के समय में भी पूजा-पाठ और यज्ञ आदि में संस्कृत मंत्रों का ही उच्चारण किया जाता है. 
लेकिन क्या आप जानते हैं कि संस्कृत भाषा के जनक कौन है. संस्कृत भाषा का जनक महर्षि पाणिनि को कहा जाता है. संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में इनका अहम और अतुलनीय योगदान रहा है. महर्षि पाणिनी के संस्कृत में अतुलनीय योगदान के कारण ही उन्हें संस्कृत के जनक के रूप में भी जाना जाता है. पाणिनि द्वारा लिखे गए व्याकरण ग्रंथ का नाम ‘अष्टाध्यायी’ है. इसमें

दुनिया के पहले उपन्यास लेखक बाणभट्ट

बाणभट्ट सातवीं शताब्दी के संस्कृत गद्यकार और कवि थे. वह राजा हर्षवर्धन के "आस्थान कवि" थे. उनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं: हर्षचरितम् तथा कादम्बरी. हर्षचरितम्, राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र है और कादंबरी विश्व का पहला उपन्यास. कादंबरी पूर्ण होने से पहले ही बाणभट्ट का देहान्त हो गया और इसे उनके पुत्र पुलिनभट्ट ने पूरा किया. दोनों ग्रंथ संस्कृत साहित्य के महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माने जाते है. बाण ने जितनी सुन्दरता, सहृदयता और सूक्ष्मदृष्टि से बाह्य प्रकृति का वर्णन किया है, उतनी ही गहराई से अन्तः प्रकृति और मनोभावों का विश्लेषण किया है. उनके वर्णन इतने व्यापक और सटीक होते हैं, कि पाठक को यह अनुभव होता है कि उन परिस्थितियों में वह भी

29 August 2023

दुनिया में सबसे पहले गुरुत्वाकर्षण की खोज करने वाले महान खगोलशास्त्री वराहमिहिर

वराहमिहिर ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे. वाराहमिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है. यह चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे. उज्जैन में उनके द्वारा विकसित गणितीय विज्ञान का गुरुकुल सात सौ वर्षों तक अद्वितीय रहा. वराहमिहिर बचपन से ही अत्यन्त मेधावी और तेजस्वी थे. अपने पिता आदित्यदास से परम्परागत गणित एवं ज्योतिष सीखकर इन क्षेत्रों में व्यापक शोध कार्य किया. समय मापक घट यन्त्र, इन्द्रप्रस्थ में लौहस्तम्भ के निर्माण और ईरान के शहंशाह नौशेरवाँ के आमन्त्रण पर जुन्दीशापुर नामक स्थान पर वेधशाला की स्थापना उनके कार्यों की एक झलक देते हैं. वराहमिहिरका मुख्य उद्देश्य गणित एवं खगोल विज्ञान को जनहित

राजनीतिशास्त्र के जनक एंव दुनिया के पहले राजनीतिक विचारक मनु

राजनीति विज्ञान वह विज्ञान है जो मानव के एक राजनीतिक और सामाजिक प्राणी होने के नाते उससे संबंधित राज्य और सरकार दोनों संस्थाओं का अध्ययन करता है. 
राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है राजनीति विज्ञान का उद्भव अत्यन्त प्राचीन है. प्राचीन भारत के इतिहास में मनु को राजनीतिशास्त्र का जनक एंव दुनिया का पहला राजनीतिक विचारक माना जाता है. क्योकि विश्व में राजनीतिशास्त्र की सबसे पहली पुस्तक मनुस्मृति इन्होने ही लिखी है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है की आज वामपंथी इतिहासकारों एंव विदेशी इतिहासकारों के द्वारा यूनानी विचारक अरस्तू को

प्राचीन भारतीय इतिहास के जनक वेद व्यास

वेद व्यास  वैदिक काल के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं जिन्हें प्राचीन भारतीय इतिहास के सबसे महान संतों और विद्वानों में से एक माना जाता है. वेद व्यास को हिंदू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों वेदों को संकलित करने और वर्गीकृत करने का श्रेय दिया जाता है. उन्हें महाभारत और पुराणों सहित अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए भी जाना जाता है. कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे. महाभारत ग्रंथ का लेखन भगवान् गणेश ने महर्षि वेदव्यास से सुन सुनकर किया था. माना जाता है कि व्यास ने मूल एकल वेद को चार भागों में विभाजित किया था: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद. 

दुनिया में आयुर्वेद के जनक धन्वंतरी

धन्वंतरी  को देवों के चिकित्सक माना गया है. धनतेरस पर इनकी आराधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है. 
धन्वन्तरि भगवान विष्णु के अवतार हैं जिन्होंने आयुर्वेद प्रवर्तन किया. इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मन्थन के समय हुआ था. शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वन्तरि, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती महालक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था. इसीलिये दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वन्तरि का अवतरण धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन इन्होंने आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव किया था.

23 August 2023

दुनिया के सबसे लोकप्रिय महाकाव्य के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे. रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है. इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है. श्रीरामचरितमानस का कथा रामायण से लिया गया है. रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है. इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है. महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में स्थान दिया गया

21 August 2023

देखिए राष्ट्रवाद क्या है और भारत में राष्ट्रवाद का जन्म अठारहवी सदी में नहीं वैदिक संभ्यता में हुई थी

दोस्तों, आजकल राष्ट्रवाद को लेकर देशभर में खूब चर्चा है. लोगों के मन में सवाल उठ रहा है की राष्ट्रवाद  क्या है और राष्ट्रवाद का उदय कहा हुआ है. तो चलिए इन सारे बिेंदुओं पर विस्तार से बात करते हैं और समझते हैं कि राष्ट्रवाद क्या है और राष्ट्रवाद का जन्म अठारहवी सदी में नहीं वैदिक संभ्यता में हुई थी. साथियों आज वामपंथी इतिहासकारों द्वारा पढाया जाता है की राष्ट्रवाद का उदय पुनर्जागरण के बाद अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के युरोप में हुआ था. राष्ट्रवाद के प्रतिपादक जॉन गॉटफ्रेड हर्डर थे, जिन्होंने 18वीं सदी में पहली बार इस शब्द का प्रयोग करके जर्मन राष्ट्रवाद की नींव डाली. लेकिन अपने केवल दो-ढाई सौ साल पुराने ज्ञात इतिहास के बाद भी यह विचार बेहद शक्तिशाली और टिकाऊ साबित हुआ है. जब भारतीय संस्कृति की बात आती है तब कई पश्चिम के विद्वान यह मानने लगते हैं कि ब्रिटिश लोगों के कारण ही भारत में राष्ट्रवाद की भावना ने जन्म लिया. राष्ट्रीयता की चेतना ब्रिटिश शासन की देन है और उससे पहले भारतीय इस चेतना से अनभिज्ञ थे. पर यह सत्य नहीं है, भारत के प्राचीन इतिहास से नई पीढ़ी को राष्ट्रवादी प्रेरणा मिली है.

05 August 2023

प्लासी का युद्ध

प्लासी का पहला युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर नदिया जिले में भागीरथी नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था. इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी तो दूसरी ओर थी बंगाल के नवाब की सेना. कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में नवाब सिराज़ुद्दौला को हरा दिया था. किंतु इस युद्ध को कम्पनी की जीत नही मान सकते कयोंकि युद्ध से पूर्व ही नवाब के तीन सेनानायक मीर जाफर, उसके दरबारी, तथा राज्य के अमीर सेठ जगत सेठ आदि से कलाइव ने षडंयत्र कर लिया था. नवाब की तो पूरी सेना ने युद्ध मे भाग भी नही लिया था युद्ध के

01 August 2023

भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन

भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के विरुद्ध जो आन्दोलन हुआ उसे भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन कहते है. 
क्रांतिकारी आंदोलन के समय को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है. सामान्यतः लोगों ने राष्ट्रीय आंदोलन का समय सन् 1857 से 1947 तक माना है लेकिन श्रीकृष्ण सरल का मत है कि इसका समय सन् 1757 अर्थात् प्लासी के युद्ध से सन् 1961 अर्थात् गोवा मुक्ति तक मानना चाहिए. सन् 1961 में गोवा मुक्ति के साथ ही भारतवर्ष पूर्ण रूप से स्वाधीन हो सका है. जिस प्रकार एक विशाल नदी अपने उद्गम स्थान से निकलकर अपने गंतव्य अर्थात् सागर मिलन तक अबाध रूप से बहती जाती है और बीच-बीच में उसमें अन्य छोटी-छोटी धाराएँ भी मिलती रहती हैं, उसी