23 September 2023

विश्व के सबसे बड़े दानवीर ब्राह्मण ऋषि दधीचि

महर्षि दधीचि वैदिक ऋषि थे. ये अथर्व के पुत्र हैं. इन्हीं की हड्डियों से बने वज्र से इंद्र ने वृत्रासुर का संहार किया था. उत्तरप्रदेश का सीतापुर जिला इनकी तपोभूमि हैं.
दधीचि प्राचीन काल के परम तपस्वी और ख्यातिप्राप्त महर्षि थे. उनकी पत्नी का नाम 'गभस्तिनी' था. महर्षि दधीचि वेद शास्त्रों आदि के पूर्ण ज्ञाता और स्वभाव के बड़े ही दयालु थे. अहंकार तो उन्हें छू तक नहीं पाया था. वे सदा दूसरों का हित करना अपना परम धर्म समझते थे. उनके व्यवहार से उस वन के पशु-पक्षी तक संतुष्ट थे, जहाँ वे रहते थे. गंगा के तट पर ही उनका आश्रम था. जो भी अतिथि महर्षि दधीचि के आश्रम पर आता, स्वयं महर्षि तथा उनकी पत्नी अतिथि की पूर्ण श्रद्धा भाव से सेवा करते थे. यूँ तो 'भारतीय इतिहास' में कई दानी हुए हैं, किंतु मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों का दान करने वाले मात्र महर्षि दधीचि ही थे. देवताओं के मुख से यह जानकर की मात्र दधीचि की अस्थियों से निर्मित वज्र द्वारा ही असुरों का संहार किया जा सकता है, महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान कर दिया.

22 September 2023

भारत के महान संत ब्राह्मण सूरदास

सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गाँव में हुआ. यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है. कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बाद में ये आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे. सूरदास के पिता रामदास गायक थे. सूरदास जन्म से ही अन्धे थे, किन्तु सगुन बताने की उनमें अद्भुत शक्ति थी. 6 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने अपनी सगुन बताने की विद्या से माता-पिता को चकित कर दिया था. किन्तु इसी के बाद वे घर छोड़कर चार कोस दूर एक गाँव में तालाब के किनारे रहने लगे थे. सगुन बताने की विद्या के कारण शीघ्र ही उनकी ख्याति चारों और फैल गई. गान विद्या में भी

मैथिल कवि कोकिल ब्राह्मण विद्यापति

विद्यापति (1352-1448ई) मैथिली और संस्कृत कवि, संगीतकार, लेखक, दरबारी और राज पुरोहित थे. वह शिव के भक्त थे, लेकिन उन्होंने प्रेम गीत और भक्ति वैष्णव गीत भी लिखे. उन्हें 'मैथिल कवि कोकिल' (मैथिली के कवि कोयल) के नाम से भी जाना जाता है. विद्यापति का प्रभाव केवल मैथिली और संस्कृत साहित्य तक ही सीमित नहीं था, बल्कि अन्य पूर्वी भारतीय साहित्यिक परम्पराओं तक भी था. उन्हें "बंगाली साहित्य का जनक" कहा है. विद्यापति भारतीय साहित्य की 'शृंगार-परम्परा' के साथ-साथ 'भक्ति-परम्परा' के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं. इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है.

धुनिक भारत के चिन्तक एंव आर्य समाज के संस्थापक ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती आधुनिक भारत के चिन्तक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे. उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' था. दयानन्द सरस्वती का जन्म 12 फ़रवरी टंकारा में सन् 1824 में मोरबी (मुम्बई की मोरवी रियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र (जिला राजकोट), गुजरात में हुआ था. उनके पिता का नाम करशनजी लालजी तिवारी और माँ का नाम यशोदाबाई था. उनके पिता एक कर-कलेक्टर होने के साथ ब्राह्मण परिवार के समृद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति थे. इनका जन्म धनु राशि और मूल नक्षत्र मे हुआ था इसीलिए स्वामी दयानन्द सरस्वती का असली नाम मूलशंकर था और उनका प्रारम्भिक जीवन बहुत आराम से बीता. आगे चलकर एक पण्डित बनने के लिए वे संस्कृत, वेद, शास्त्रों व अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गए. अपनी छोटी बहन और

भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत एंव आधुनिक भारत के जनक ब्राह्मण राजाराम मोहन राय

राजा राममोहन रॉय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है. इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था. भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है. वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे. उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की. उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया. 

भारत के महान समाज सुधारक ब्राह्मण ईश्वर चन्द्र विद्यासागर

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले के वीरसिंह गाँव में एक अति निर्धन ब्राम्हण परिवार में हुआ था. पिता का नाम ठाकुरदास वन्द्योपाध्याय था. तीक्ष्णबुद्धि पुत्र को गरीब पिता ने विद्या के प्रति रुचि ही विरासत में प्रदान की थी. नौ वर्ष की अवस्था में बालक ने पिता के साथ पैदल कोलकाता जाकर संस्कृत कालेज में विद्यारम्भ किया. शारीरिक अस्वस्थता, घोर आर्थिक कष्ट तथा गृहकार्य के बावजूद ईश्वरचंद्र ने प्रायः प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. उनके बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्द्योपाध्याय था. संस्कृत भाषा और दर्शन में अगाध पाण्डित्य के कारण विद्यार्थी जीवन में ही संस्कृत कॉलेज ने उन्हें 'विद्यासागर' की उपाधि प्रदान की थी. 

भारत के महान संत एंव आध्यात्मिक गुरु ब्राह्मण रामकृष्ण परमहंस

रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक थे. इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया. उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया. स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे. साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं. वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं. मानवीय मूल्यों के पोषक संत रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल प्रांत स्थित

भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता ब्राह्मण रबीन्द्रनाथ टैगोर

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं. उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फुकी और एशिया में प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए. वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं. रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ. उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं. उनकी आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई. उन्होंने बैरिस्टर बनने की इच्छा से 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में नाम लिखाया फिर लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया किन्तु 1880 में बिना डिग्री प्राप्त किए ही स्वदेश पुनः लौट आए. सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ.

भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक (23 जुलाई 1856 - 1 अगस्त 1920), एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे. ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे. उन्हें, "लोकमान्य" के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत. लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे. उनका दिया गया नारा "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा" बहुत प्रसिद्ध हुआ. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष और वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै शामिल थे.

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण चन्द्रशेखर आजाद तिवारी

चन्द्रशेखर आजाद भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे. वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे. चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर, जिला-अलीराजपुर, मध्यपदेश) में एक ब्राह्मण परिवार में 23 जुलाई सन् 1906 को हुआ था. आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी अकाल के समय अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर कुछ दिनों तक मध्य प्रदेश के अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे फिर जाकर भाबरा गाँव में बस गये. यहीं बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता. उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था. आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में बीता. अतएव बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष-बाण चलाये. इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी. 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण राजगुरु

शिवराम हरि राजगुरु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे. इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फाँसी पर लटका दिया गया था. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी. शिवराम हरि राजगुरु का जन्म सन् 1908 में पुणे जिला के खेडा गाँव में हुआ था. इनके पिता का नाम श्री हरि नारायण और माता का नाम पार्वती बाई था. राजगुरु के पिता का निधन इनके बाल्यकाल में ही हो गया था. इनका पालन-पोषण इनकी माता और बड़े भैया ने किया. राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर, साहसी और मस्तमौला थे. भारत माँ से प्रेम तो बचपन से ही था. इस कारण अंग्रेज़ों से घृणा तो स्वाभाविक ही थी. ये बचपन से ही वीर शिवाजी और लोकमान्य तिलक के बहुत बड़े भक्त थे. राजगुरु का पढ़ाई में

21 September 2023

भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री ब्राह्मण जवाहरलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे. महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया. वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार माने जाते हैं. कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाए जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं.

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण गोपाल कृष्ण गोखले

गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई 1866 - 19 फरवरी, 1915) भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे. महादेव गोविन्द रानाडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे. चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णतः सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके. उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है. महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे.

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें 30 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी. वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे. राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे. उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर शहर में 11 जून 1897 को ब्राह्मण परिवार में जन्मे राम प्रसाद बिस्मिल शायर, कवि और लेखक थे. 19 साल की उम्र में नाम के आगे बिस्मिल लगाकर उन्होंने उर्दू और हिन्दी को एक साथ मिलाकर देशभक्ति की जोश भर देने वाली कविताएं लिखना शुरू किया था. अंग्रेजों के खिलाफ 9 अगस्त 1925 को घटे काकोरी कांड के लिए उनको हमेशा याद किया जाता है. ट्रेन लूट के इस साहसी कदम के साथ रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी, रोशन सिंह और अन्य कई क्रांतिकारियों का नाम जुड़ा है.

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण मोतीलाल नेहरू

मोतीलाल नेहरू प्रयागराज के एक प्रसिद्ध अधिवक्ता एवं ब्रिटिशकालीन राजनेता थे. वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे. वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे. जलियांवाला बाग काण्ड के बाद 1919 में अमृतसर में हुई कांग्रेस के वे पहली बार अध्यक्ष बने और फिर 1928 में कलकत्ता में दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष बने. मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को आगरा में हुआ था. उनके पिता का नाम गंगाधर था. वह पश्चिमी ढँग की शिक्षा पाने वाले प्रथम पीढ़ी के गिने-चुने भारतीयों में से थे. वह इलाहाबाद के म्योर केंद्रीय महाविद्यालय में शिक्षित हुए किन्तु बी०ए० की

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण श्यामाप्रसाद मुखर्जी

डॉ0 श्यामाप्रसाद मुखर्जी शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे. 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म हुआ. उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे. डॉ0 मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा 1921 में बी०ए० की उपाधि प्राप्त की. 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गये और 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे. अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली थी. 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण दीनदयाल उपाध्याय

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिन्तक और संगठनकर्ता थे. वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी. वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे. राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी. उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में कई लेख लिखे, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के "नगला चन्द्रभान" ग्राम में हुआ था. उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था, जो नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी

भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण विनायक दामोदर सावरकर

विनायक दामोदर सावरकर  भारत के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसुधारक, इतिहासकार, राष्ट्रवादी नेता तथा विचारक थे. उन्हें प्रायः स्वातन्त्र्यवीर और वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है. हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा ('हिन्दुत्व') को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है. वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी थे. उन्होंने परिवर्तित हिन्दुओं के हिन्दू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं इसके लिए आन्दोलन चलाये. उन्होंने भारत की एक सामूहिक "हिन्दू" पहचान बनाने के लिए हिन्दुत्व

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक ब्राह्मण केशव राव बलीराम हेडगेवार

डा0 केशव राव बलीराम हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे. इनका जन्म नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हिन्दू वर्ष प्रतिपदा के दिन 1 अप्रैल 1889 के दिन हुआ था. बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृति के थे और उन्हें अंग्रेज शासको से घृणा थी. अभी विद्यालय में ही पढ़ते थे कि अंग्रेज इंस्पेक्टर के स्कूल में निरिक्षण के लिए आने पर केशव राव ने अपने कुछ सहपाठियों के साथ उनका “वन्दे मातरम्” जयघोष से स्वागत किया जिस पर वह बिफर गया और उसके आदेश पर केशव राव को स्कूल से निकाल दिया गया. तब उन्होंने मैट्रिक तक अपनी पढाई पूना के नेशनल स्कूल में पूरी की. 1910

भारत के महान राजनीतिक विचारक ब्राह्मण माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक तथा विचारक थे. इनके अनुयायी इन्हें प्रायः 'गुरूजी' के ही नाम से अधिक जानते हैं. हिन्दुत्व की विचारधारा का प्रवर्तन करने वालों उनका नाम प्रमुख है. वे संघ के कुछ आरम्भिक नेताओं में से एक हैं. उनका जन्म फाल्गुन मास की एकादशी विक्रमी संवत् 1963 तदनुसार 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था. वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे. उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य 'भाऊ जी' तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य 'ताई' था. उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे. पिता सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे परन्तु बाद में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में 1908 में अध्यापक पद पर हो गयी.

भारत की महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई

रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रान्ति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं. उन्होंने सिर्फ 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेज साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं. बताया जाता है कि सिर पर तलवार के वार से शहीद हुई थी लक्ष्मीबाई. लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था. उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था. उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था.

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण मंगल पाण्डेय

मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे. तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है. मंगल पाण्डेय का जन्म भारत में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में एक "ब्राह्मण" परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था. ब्राह्मण होने के कारण मंगल पाण्डेय सन् 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना मे बंगाल नेटिव इन्फेंट्री की 34वी बटालियन मे भर्ती किये गए, जिसमें ज्यादा संख्या मे ब्राह्मणो को भर्ती की जाती थी.

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण विनोबा भावे

आचार्य विनोबा भावे भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे. उनका मूल नाम विनायक नारहरी भावे था. उन्हे भारत का राष्ट्रीय आध्यापक और महात्मा गांधी का अध्यात्मिक उत्तराधीकारी समझा जाता है. उन्होने अपने जीवन के आखरी वर्ष पोनार, महाराष्ट्र के आश्रम में गुजारे. उन्होंने भूदान आन्दोलन चलाया. इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल को 'अनुशासन पर्व' कहने के कारण वे विवाद में भी थे. विनोबा भावे का मूल नाम विनायक नरहरि भावे था. इनका जन्म 11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के गागोदा गांव के चितपावन ब्राह्मण नरहरि भावे के घर हुआ था. उनकी माता रुक्मिणी बाई विदुषी महिला थीं. उनका बचपन का नाम था विनायक. मां उन्हें प्यार से विन्या कहकर बुलातीं. विनोबा नाम गांधी जी ने दिया था. महाराष्ट्र में नाम के पीछे ‘बा’ लगाने का जो चलन है, उसके अनुसार. तुकोबा, विठोबा और विनोबा.

20 September 2023

भारत के महान विभूति ब्राह्मण अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे. वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 मे और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. वे हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे. वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे. अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारंभ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)

भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी

इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं. वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं. इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में हुआ था. इनके पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं. इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था. इनके दादा मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे. इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे.

भारत के राष्ट्रगीत वन्दे मातरम के रचयिता ब्राह्मण बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (27 जून 1838 - 8 अप्रैल 1894) बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे. भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था. रबीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है. आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ. इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी

भारत के राष्ट्रकवि ब्राह्मण रामधारी सिंह 'दिनकर'

रामधारी सिंह 'दिनकर'  हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे. वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं. 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये. वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे. एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है. इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है. 'दिनकर' जी का जन्म 24 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय

भारत के महान वीर योद्धा ब्राह्मण हेमचन्द्र विक्रमादित्य

हेमचन्द्र विक्रमादित्य 'हेमू' भारत का अंतिम हिन्दू राजा था. 'भारतीय इतिहास के वीर पुरुषों में वह गिना जाता है. "मध्यकालीन भारत का नेपोलियन" कहा जाने वाला हेमू अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर एक साधारण व्यापारी से प्रधानमंत्री एवं सेनाध्यक्ष की पदवी तक पहुँचा था. यह ऐतिहासिक सफर उसने एक अजेय महानायक के रूप में पूरा किया था. उसके अपार पराक्रम तथा वीरता के कारण ही उसे 'विक्रमादित्य' की उपाधि मिली थी.  हेमू ने अपना अंतिम युद्ध प्रसिद्ध पानीपत के मैदान में लड़ा. यह युद्ध वह मुग़ल सेनापति बैरम ख़ाँ की कूटनीतिक चाल से हार गया. आँख में एक तीर लग जाने से हेमू की सेना बिखर गई और उसे हार का सामना करना पड़ा.

जीवन में कभी युद्ध ना हारने वाले महान योद्धा ब्राह्मण बाजीराव पेशवा

हर-हर महादेव के युद्धघोष के साथ देश में अटक से लेकर कटक तक केसरिया ध्वज लहरा कर "हिन्दू स्वराज" लाने का जो सपना वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने देखा था, उसको काफी हद तक मराठा साम्राज्य के चौथे पेशवा या प्रधानमंत्री वीर बाजीराव प्रथम ने पूरा किया था. जिस वीर महायोद्धा बाजीराव पेशवा प्रथम के नाम से अंग्रेज शासक थर-थर कांपते थे, मुगल शासक बाजीराव से इतना डरते थे कि उनसे मिलने तक से भी घबराते थे. हिंदुस्तान के इतिहास में पेशवा बाजीराव प्रथम ही अकेले ऐसे महावीर महायोद्धा थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में 41 युद्ध लड़े और एक भी युद्ध नहीं

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी ब्राह्मण सहजानन्द सरस्वती

स्वामी सहजानन्द सरस्वती भारत के राष्ट्रवादी नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. स्वामी जी भारत में 'किसान आन्दोलन' के जनक थे. वे आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के 'दसनामी संन्यासी' अखाड़े के दण्डी संन्यासी थे. वे एक बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, इतिहासकार एवं किसान-नेता थे. ऐसे महान् संन्यासी, युगद्रष्टा और जननायक का जन्म उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले के देवा गांव में महाशिवरात्रि के दिन सन् 1889 ई. में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. स्वामीजी के बचपन का नाम नौरंग राय था. उनके पिता बेनी राय सामान्य किसान थे. बचपन में हीं माँ का साया उठ गया. लालन-पालन चाची ने किया. जलालाबाद के मदरसे में आरंभिक शिक्षा हुई. मेधावी नौरंग राय ने मिडिल परीक्षा में पूरे उत्तर प्रदेश में छठा स्थान प्राप्त किया. 

भारत के महान सम्राट ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग

पुष्यमित्र शुंग प्राचीन भारत के शुंग राजवंश के संस्थापक और प्रथम राजा थे. इससे पहले वे मौर्य साम्राज्य में सेनापति थे. 185 ईसापूर्व में पुष्यमित्र ने अन्तिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ का वध कर स्वयं को राजा घोषित किया था. 
शुंग ब्राह्मण थे. बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के फ़लस्वरुप अशोक द्वारा यज्ञों पर रोक लगा दिये जाने के बाद उन्होंने पुरोहित का कर्म त्यागकर सैनिक वृति को अपना लिया था. दीर्घकाल तक मौर्यों की सेना का सेनापति होने के कारण पुष्यमित्र इसी रूप में विख्यात था तथा राजा बन जाने के बाद भी उसने अपनी यह उपाधि बनाये रखी.

19 September 2023

भगवान कृष्ण के गुरु ब्राह्मण महर्षि संदीपनी

भगवान कृष्ण के गुरु संदीपनी अवंति के कश्यप गोत्र में जन्मे ब्राह्मण थे. वे वेद, धनुर्वेद, शास्त्रों, कलाओं और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रकांड विद्वान थे. महर्षि संदीपनी के गुरुकुल में वेद-वेदांतों और उपनिषदों सहित चौंसठ कलाओं की शिक्षा दी जाती थी. साथ ही न्याय शास्त्र, राजनीति शास्त्र, धर्म शास्त्र, नीति शास्त्र, अस्त्र-शस्त्र संचालन की शिक्षा भी दी जाती थी. 
संदीपनी परम तेजस्वी तथा सिद्ध ऋषि थे, संदीपनी का अर्थ ‘देवताओं के ऋषि’ होता है. उज्जैन ऋषि संदीपनी की तपस्थली रही. यहां महर्षि ने घोर तपस्या की थी. इसी स्थान पर महर्षि संदीपनी ने

दुनिया के पहले शल्य चिकित्सक ब्राह्मण महर्षि सुश्रुत

सुश्रुत प्राचीन भारत के प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्री तथा विश्व के पहले शल्य चिकित्सक थे. इन्हें "शल्य चिकित्सा का जनक" माना जाता है. सुश्रुत ने प्रसिद्ध चिकित्सकीय ग्रंथ 'सुश्रुत संहिता' की रचना की थी. इस ग्रंथ में शल्य क्रियाओं के लिए आवश्यक यंत्रों (साधनों) तथा शस्त्रों (उपकरणों) आदि का विस्तार से वर्णन किया गया है. 'सुश्रुत संहिता' के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में काशी में हुआ था. उनका जन्म विश्वामित्र के वंश में हुआ था. इन्होंने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की थी.

भारतीय चिकित्सा पद्धति में 'सुश्रुत संहिता'को विशेष स्थान प्राप्त है. इसमें शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है. शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के

दुनिया में चिकित्साशास्त्र के जनक ब्राह्मण महर्षि चरक

चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं. वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे. इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है. इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख है तथा सोना, चाँदी, लोहा, पारा आदि धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है. आचार्य चरक ने आचार्य अग्निवेश के अग्निवेशतन्त्र में कुछ स्थान तथा अध्याय जोड्कर उसे नया रूप दिया जिसे आज चरक संहिता के नाम से जाना जाता है. 300-200 ई. पूर्व लगभग आयुर्वेद के आचार्य महर्षि चरक की गणना भारतीय औषधि विज्ञान के मूल प्रवर्तकों में होती है. चरक की शिक्षा तक्षशिला में हुई. इनका रचा हुआ ग्रंथ 'चरक संहिता' आज भी वैद्यक का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है. इन्हें ईसा की प्रथम शताब्दी का बताते हैं.  

दुनिया में राजनीति एंव कूटनीति के जनक ब्राह्मण चाणक्य

चाणक्य भारत के महान अर्थशास्त्री, राजनीति के ज्ञाता मानें जाते हैं. वे बचपन से ही अन्य बालकों से भिन्न थे. उनके तार्किकता का कोई जवाब नहीं था. चाणक्य को बचपन से ही वेद पुराणों में बहुत रूचि थी. इतिहास में उनका नाम एक कुशल नेतृत्वकर्ता व बड़े रणनीतिकारों में शामिल है. इनके सर्वगुणसंपन्न होने की ही वजह से ही इनको अनेक नामों से पुकारा जाता है, जिसमें कौटिल्य, विष्णुगुप्त, वात्स्यान, मल्ल्नाग व् अन्य नाम शामिल हैं. चाणक्य का जन्म 350 ई.पू. में तक्षशिला में हुआ था. उनके पिता चणक मुनि एक महान शिक्षक थे. इनके पिता ने बचपन में उनका नाम कौटिल्य रखा था. एक शिक्षक होने के नाते चणक मुनि अपने राज्य की रक्षा के लिए बेहद चिंतित थे.

दुनिया में खगोलशास्त्र के जनक एंव दुनिया के पहले खगोलशास्त्री ब्राह्मण आर्यभट्ट

आर्यभट्ट (476-450) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद्, खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे. इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र एंव खगोलशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है. इसी ग्रंथ में इन्होंने अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 लिखा है. बिहार में वर्तमान पटना का प्राचीन नाम कुसुमपुर था लेकिन आर्यभट का कुसुमपुर दक्षिण में था, यह अब लगभग सिद्ध हो चुका है. एक अन्य मान्यता के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था. उन्होंने लम्बी यात्रा करके आधुनिक पटना के समीप कुसुमपुर में अवस्थित होकर राजसान्निध्य में अपनी रचनाएँ पूर्ण की. इनका जन्म  ब्राह्मण परिवार में मानी जाती है.

दुनिया के पहले योग गुरु ब्राह्मण महर्षि पतंजलि

महर्षि पतंजलि प्राचीन भारत के एक मुनि थे जिन्हें संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है. ये दुनिया के पहले योग गुरु भी है. एक लोकप्रिय कहानी के अनुसार वह ऋषि अत्री और उनकी पत्नी अनुसूइया के पुत्र थे. इनका काल 200 ई. पूर्व माना जाता है. पतंजलि के ग्रंथों में लिखे उल्लेख से उनके काल का अंदाजा लगाया जाता है कि संभवतः राजा पुष्यमित्र शुंग के शासन काल 195 से 142 ई. पूर्व इनकी उपस्थिति थी. पतंजलि एक प्रख्यात चिकित्सक और रसायन शास्त्र के आचार्य थे. रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अभ्रक, धातुयोग और लौह्शास्त्र का परिचय कराने का श्रेय पतंजलि को जाता है. राजा भोज ने महर्षि पतंजलि को तन के साथ हीं मन के चिकित्सक की उपाधि से विभूषित किया था.

दुनिया के सबसे लोकप्रिय महाकाव्य के रचयिता ब्राह्मण गोस्वामी तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे. रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है. इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है. श्रीरामचरितमानस का कथा रामायण से लिया गया है. रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है. इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है. महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में स्थान दिया गया है. तुलसीदास जी रामानंदी के बैरागी साधु थे. तुलसीदासजी का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश (वर्तमान बाँदाज़िला) केराजापुर नामक ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था.

दुनिया में सबसे पहले गुरुत्वाकर्षण की खोज करने वाले महान खगोलशास्त्री ब्राह्मण वराहमिहिर

वराहमिहिर ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे. वाराहमिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है. यह चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे. उज्जैन में उनके द्वारा विकसित गणितीय विज्ञान का गुरुकुल सात सौ वर्षों तक अद्वितीय रहा. वराहमिहिर बचपन से ही अत्यन्त मेधावी और तेजस्वी थे. अपने पिता आदित्यदास से परम्परागत गणित एवं ज्योतिष सीखकर इन क्षेत्रों में व्यापक शोध कार्य किया. समय मापक घट यन्त्र, इन्द्रप्रस्थ में लौहस्तम्भ के निर्माण और ईरान के शहंशाह नौशेरवाँ के आमन्त्रण पर जुन्दीशापुर नामक स्थान पर वेधशाला की स्थापना उनके कार्यों की एक झलक देते हैं. वराहमिहिरका मुख्य उद्देश्य गणित एवं खगोल विज्ञान को

दुनिया के पहले उपन्यास लेखक ब्राह्मण बाणभट्ट

बाणभट्ट सातवीं शताब्दी के संस्कृत गद्यकार और कवि थे. वह राजा हर्षवर्धन के "आस्थान कवि" थे. उनके दो प्रमुख ग्रंथ हैं: हर्षचरितम् तथा कादम्बरी. हर्षचरितम्, राजा हर्षवर्धन का जीवन-चरित्र है और कादंबरी विश्व का पहला उपन्यास. कादंबरी पूर्ण होने से पहले ही बाणभट्ट का देहान्त हो गया और इसे उनके पुत्र पुलिनभट्ट ने पूरा किया. दोनों ग्रंथ संस्कृत साहित्य के महत्त्वपूर्ण ग्रंथ माने जाते है. बाण ने जितनी सुन्दरता, सहृदयता और सूक्ष्मदृष्टि से बाह्य प्रकृति का वर्णन किया है, उतनी ही गहराई से अन्तः प्रकृति और मनोभावों का विश्लेषण किया है. उनके वर्णन इतने व्यापक और सटीक होते हैं, कि पाठक को यह अनुभव होता है कि उन परिस्थितियों में वह भी ऐसा ही

दुनिया में संस्कृत व्याकरण के जनक ब्राह्मण पाणिनि

संस्कृत को देववाणी और आदिभाषा कहा जाता है. इसे न केवल भारत बल्कि प्राचीनतम और श्रेष्ठतम भाषा माना गया है. हिंदू धर्म के लगभग सभी धार्मिक ग्रंथों को संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है. आज के समय में भी पूजा-पाठ और यज्ञ आदि में संस्कृत मंत्रों का ही उच्चारण किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि संस्कृत भाषा के जनक कौन है. संस्कृत भाषा का जनक महर्षि पाणिनि को कहा जाता है. संस्कृत भाषा को व्याकरण सम्मत रूप देने में इनका अहम और अतुलनीय योगदान रहा है. महर्षि पाणिनी के संस्कृत में अतुलनीय योगदान के कारण ही उन्हें संस्कृत के जनक के रूप में भी जाना जाता है. पाणिनि द्वारा लिखे गए व्याकरण ग्रंथ का नाम ‘अष्टाध्यायी’ है. इसमें

दुनिया में ज्योतिषशास्त्र के जनक ब्राह्मण महर्षि पराशर

ज्‍योतिष या ज्यौतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है. प्राचीन काल में ग्रह, नक्षत्र और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय को ही ज्‍योतिष कहा गया था. भारतीय आर्यो में ज्योतिष विद्या का ज्ञान अत्यन्त प्राचीन काल से था. यज्ञों की तिथि आदि निश्चित करने में इस विद्या का प्रयोग किया जाता था. इसमें कोई संदेह नहीं कि आज से हजारो वर्ष पहले हिंदुओं को नक्षत्र अयन आदि का ज्ञान था और वे यज्ञों के लिये पत्रा बनाते थे. पूर्व काल में देशान्तर लंका या उज्जयिनी से लिया जाता था. भारतीय ज्योतिषी गणना के लिये पृथ्वी को ही केंद्र मानकर चलते थे और ग्रहों की स्पष्ट स्थिति या गति लेते थे. इससे ग्रहों की कक्षा आदि के संबंध में उनकी और आज की गणना में कुछ अन्तर पड़ता है.

विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञ एंव खगोलशास्त्री ब्राह्मण भास्कराचार्य

भास्कराचार्य (1114 – 1185) प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं ज्योतिषी थे इनके द्वारा रचित मुख्य ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि है जिसमें लीलावती, बीजगणित ग्रहगणित तथा गोलाध्याय नामक चार भाग हैं. ये चार भाग क्रमशः अंकगणित, बीजगणित, ग्रहों की गति से सम्बन्धित गणित तथा गोले से सम्बन्धित हैं. आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है. किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्य ने उजागर कर दिया था. भास्कराचार्य ने अपने

विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञ ब्राह्मण ब्रह्मगुप्त

ब्रह्मगुप्त (598-668) एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे. ब्रह्मगुप्त गणित ज्योतिष के बहुत बड़े आचार्य थे. आर्यभट के बाद भारत के पहले गणित शास्त्री 'भास्कराचार्य प्रथम' थे. उसके बाद ब्रह्मगुप्त हुए. ब्रह्मगुप्त खगोल शास्त्री भी थे और आपने 'शून्य' के उपयोग के नियम खोजे थे. इसके बाद अंकगणित और बीजगणित के विषय में लिखने वाले कई गणितशास्त्री हुए. प्रसिद्ध ज्योतिषी भास्कराचार्य ने इनको 'गणकचक्र - चूड़ामणि' कहा है और इनके मूलाकों को अपने 'सिद्धान्त शिरोमणि' का आधार माना है. ब्रह्मगुप्त उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष

दुनिया के पहले नाटककार एंव महान कवि ब्राह्मण कालीदास

कालिदास तीसरी- चौथी शताब्दी मेे गुप्त साम्राज्य के संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे. उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएँ की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्त्व निरूपित हैं. कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं. 
अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है. यह नाटक कुछ उन भारतीय साहित्यिक कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था. यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना मानी जाती है. मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर

13 September 2023

भारत के महान सम्राट हर्षवर्धन

हर्षवर्धन प्राचीन भारत में एक राजा थे जिसने उत्तरी भारत में 606 ई से 647 ई तक राज किया. वह वर्धन राजवंश के शासक प्रभाकरवर्धन का पुत्र था. 
प्रभाकरवर्धन को तीन संतान थी – राज्यवर्धन, हर्षवर्धन, राज्यश्री. राजयश्री का विवाह मौखरि नरेश ग्रहवर्मा से हुआ था. 605 ई. में प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के बाद, मालवा के राजा ने गौड़ के शासक द्वारा समर्थित कन्नौज पर हमला किया. मालव राजा ने ग्रह-वर्मन को मार डाला, और राज्यश्री को पकड़ लिया. प्रभाकर के बड़े पुत्र राज्य-वर्धन ने मालव शासक को हराया, लेकिन गौड़ राजा शशांक ने उसे मार डाला. प्रभाकर के छोटे पुत्र हर्ष-वर्धन ने गौड़ राजा शशांक और उनके सहयोगियों को नष्ट करने की कसम खाई थी.

भारत के महान सम्राट पुष्यमित्र शुंग

पुष्यमित्र शुंग प्राचीन भारत के शुंग राजवंश के संस्थापक और प्रथम राजा थे. इससे पहले वे मौर्य साम्राज्य में सेनापति थे. 185 ईसापूर्व में पुष्यमित्र ने अन्तिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ का वध कर स्वयं को राजा घोषित किया था. 
शुंग ब्राह्मण थे. बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के फ़लस्वरुप अशोक द्वारा यज्ञों पर रोक लगा दिये जाने के बाद उन्होंने पुरोहित का कर्म त्यागकर सैनिक वृति को अपना लिया था. दीर्घकाल तक मौर्यों की सेना का सेनापति होने के कारण पुष्यमित्र इसी रूप में विख्यात था तथा राजा बन जाने के बाद भी उसने अपनी यह उपाधि बनाये रखी.

12 September 2023

बाइनरी नंबर के जनक आचार्य ब्राह्मण पिंगला

आचार्य पिंगला एक प्राचीन भारतीय कवि और गणितज्ञ थे. महर्षि पिंगल अपने समय के महान् लेखकों में गिने जाते थे. इनका जन्म लगभग 400 ईसा पूर्व का माना जाता है. 
कुछ इतिहासकारों के अनुसार महर्षि पिंगला प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरणविद् पाणिनि के भाई थे, जिन्हें प्रथम वर्णनात्मक भाषाविद् माना जाता है. कुछ इतिहासकारों ने उनकी पहचान दूसरी सदी के विद्वान पतंजलि के रूप में की है, जिन्होंने महाभाष्य लिखा था. इन्होंने 'छन्दशास्त्र' की रचना की थी. 

छन्दशास्त्र का अर्थ है मीटर का विज्ञान जैसा कि कविता /संगीत में प्रयोग किया जाता है जिसमें इसका गहन अध्ययन किया जाता है. चांदे का अध्ययन

विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त

ब्रह्मगुप्त (598-668) एक प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ थे. ब्रह्मगुप्त गणित ज्योतिष के बहुत बड़े आचार्य थे. आर्यभट के बाद भारत के पहले गणित शास्त्री 'भास्कराचार्य प्रथम' थे. उसके बाद ब्रह्मगुप्त हुए. ब्रह्मगुप्त खगोल शास्त्री भी थे और आपने 'शून्य' के उपयोग के नियम खोजे थे. इसके बाद अंकगणित और बीजगणित के विषय में लिखने वाले कई गणितशास्त्री हुए. प्रसिद्ध ज्योतिषी भास्कराचार्य ने इनको 'गणकचक्र - चूड़ामणि' कहा है और इनके मूलाकों को अपने 'सिद्धान्त शिरोमणि' का आधार माना है. 
ब्रह्मगुप्त उज्जैन (वर्तमान मध्य प्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख थे और इस दौरान उन्होने दो विशेष

11 September 2023

विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञ एंव खगोलशास्त्री भास्कराचार्य

भास्कराचार्य (1114 – 1185) प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं ज्योतिषी थे. इनके द्वारा रचित मुख्य ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि है जिसमें लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित तथा गोलाध्याय नामक चार भाग हैं. ये चार भाग क्रमशः अंकगणित, बीजगणित, ग्रहों की गति से सम्बन्धित गणित तथा गोले से सम्बन्धित हैं. आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है. किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्य ने उजागर कर दिया था. भास्कराचार्य ने अपने