06 June 2023

आर्य विदेशी नहीं भारत के मूल निवासी थे

भारत में अंग्रेज़ों और वामपंथी इतिहासकारों ने हमेशा ये कहा कि आर्य, भारत के मूल निवासी नहीं थे. आर्य विदेशी थे उन्होंने उत्तर भारत पर आक्रमण करके, यहां कब्ज़ा कर लिया. और भारत के मूल निवासी आर्यों के हमले की वजह से भागकर दक्षिण भारत चले गए. ये भी कहा जाता है कि आर्यों ने भारत के मूल निवासियों को अपना गुलाम बना लिया . भारत में आज भी यही Theory पढ़ाई जाती है कि आर्य आक्रमणकारी थे. कहते हैं कि मैक्स मूलर, विलियम हंटर और लॉर्ड टॉमस बैबिंग्टन मैकॉले इन तीन

03 June 2023

भारत में हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज

भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में सभी लोग जानते हैं. बहुत से लोग इन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं, जबकि वे भारतीय गणराज्य के महानायक थे. छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन्‌ 19 फरवरी 1630 में मराठा परिवार में हुआ. उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था. शिवाजी शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे. उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है. बचपन में शिवाजी

भारत के वीर योद्धा त्रैलोक्य वर्मन

त्रैलोक्यवर्मन महोबा के पुरबिया चन्देल राजपूत महाराज थे. उन्होंने जेजाकभुक्ति, विंध्य, कान्यकुब्ज, चेदि, त्रिपुरी और त्रिकलिंग इत्यादि क्षेत्रों पर शासन किया. चन्देल अभिलेखों से पता चलता है कि 1202 ईस्वी में 7 वर्षीय त्रैलोक्यवर्मन चन्देल को सम्राट परमर्दिदेव चन्देल द्वारा उत्तराधिकारी घोषित किया गया था. वह परमर्दिदेव के सबसे छोटे पुत्र समरजीत थे.

मोहम्मद गौरी का गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक

भारत माता के वीर पुत्र सुजान सिंह शेखावत

7 मार्च 1679 एक बीस बाइस वर्ष के लड़के की बारात जा रही थी, तभी कुछ चरवाहे उनके पास आते है और बताते है कि औरंगजेब की सेना खंडोला के मंदिरों को तोड़ने आ गई है और 100 गायों को हलाल करेगी उनके पास बड़े तोपखाने और हाथियों का दल है, हजारों की सेना है. ये सुनते ही सुजान सिंह शेखावत बोले जिस धरती पर राजपूतों का निवास हो वहां ऐसा कृत्य? उन्होंने फिर अपने बारात में आए पुरुषो को ललकारा कि कौन कौन जायेगा मंदिर की रक्षा को ? ललकारने मात्र की देर थी 70 से अधिक क्षत्रिय योद्धा सामने आ गए. पर एक पल ध्यान उनका उस नव विवाहित कन्या पर गया जिसका उन्होंने मुख भी अभी तक नही देखा था, उस पर क्या गुजरेगी. तब डोली से एक हाथ निकलता है जिसने सुजान सिंह को अनुमति दे दी, उस क्षत्रानी को प्रणाम कर वे फिर खंडोला निकल गए.

वीरभोग्या वसुन्धरा भारत माता के वीर पुत्र पृथ्वी सिंह

ये एक कहानी मात्र नहीं है. हमारी धरती प्यारी मां धरती वास्तव में वीरभोग्या वसुन्धरा है. इस धरती पर बहुत ही अजब-गजब वीर पैदा हुए हैं. उनकी कहानी सुनकर के हमारी रगों में खून दौडने लगता है. रोंगटे खड़े हो जाते हैं, रोम-रोम में रोमांच हो जाता है, भुजाएं फड़कने लगती हैं. हमारी धरती वास्तव में भारत महान् है.

एक बार औरंगजेब के दरबार में एक शिकारी जंगल से पकड़कर एक बड़ा भारी शेर लाया. लोहे के पिंजरे में बंद शेर बार-बार दहाड़ रहा था. बादशाह कहता था इससे बड़ा भयानक शेर दूसरा नहीं मिल सकता. दरबारियों ने हाँ में हाँ मिलायी. किन्तु वहाँ मौजूद जोधपुर के महाराजा यशवंत सिंह जी ने कहा - इससे भी अधिक शक्तिशाली शेर मेरे पास है. क्रूर एवं अधर्मी औरंगजेब को बड़ा क्रोध हुआ. उसने कहा तुम अपने शेर को इससे लड़ने को छोडो. यदि तुम्हारा शेर हार गया तो तुम्हारा सर काट लिया जायेगा.

भारतीय संस्कृति की महान विरासत "राजदण्ड" सेंगोल को लोकतंत्र के मंदिर में किया गया स्थापित

पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र के नए मंदिर में विधि-विधान के साथ सेंगोल की स्थापना की. सेंगोल का इतिहास आधुनिक तौर पर भारत की आजादी से जुड़ा हुआ है तो वहीं इसकी प्राचीनता की कड़ियां 
वैदिक परंपरा से भी जुड़ती हैं. इसे राजाओं के राजदंड के तौर पर भी जाना जाता है. नए संसद भवन में रखा जाने वाले सेंगोल की कहानी वास्तव में भारत की आजादी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से जु़ड़ी हुई है. वर्ष 1947 में जब भारत को आजादी दी जा रही थी जो उस समय ब्रिटेन द्वारा भारतीय नेताओं को सत्ता के हस्तांतरण के रुप में एक राजदंड (Sengol) तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को दिया गया. बाद में इसे प्रयागराज म्यूजियम में रख दिया गया. अब पीएम मोदी ने इसे एक बार फिर संसद में स्पीकर की बेंच के पास स्थापित करने का निर्णय किया है.