09 October 2023

ब्राह्मण मदन मोहन मालवीय

मदन मोहन मालवीय एक भारतीय विद्वान, शिक्षा सुधारक और राजनीतिज्ञ थे. वह चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष और अखिल भारत हिंदू महासभा के संस्थापक रहे. उन्हें पंडित सम्मान की उपाधि और महामना (महान आत्मा) कहकर संबोधित किया जाता था. 
मालवीय ने भारतीयों के बीच आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास किया और 1916 में वाराणसी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की सह-स्थापना की, जिसे 1915 के बीएचयू अधिनियम के तहत बनाया गया था. यह एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है जिसमें कला, वाणिज्य, विज्ञान, इंजीनियरिंग, भाषाई, अनुष्ठान, चिकित्सा, कृषि, प्रदर्शन कला, कानून, प्रबंधन और प्रौद्योगिकी के 40,000 से अधिक छात्र हैं. 

23 September 2023

विश्व के सबसे बड़े दानवीर ब्राह्मण ऋषि दधीचि

महर्षि दधीचि वैदिक ऋषि थे. ये अथर्व के पुत्र हैं. इन्हीं की हड्डियों से बने वज्र से इंद्र ने वृत्रासुर का संहार किया था. उत्तरप्रदेश का सीतापुर जिला इनकी तपोभूमि हैं.
दधीचि प्राचीन काल के परम तपस्वी और ख्यातिप्राप्त महर्षि थे. उनकी पत्नी का नाम 'गभस्तिनी' था. महर्षि दधीचि वेद शास्त्रों आदि के पूर्ण ज्ञाता और स्वभाव के बड़े ही दयालु थे. अहंकार तो उन्हें छू तक नहीं पाया था. वे सदा दूसरों का हित करना अपना परम धर्म समझते थे. उनके व्यवहार से उस वन के पशु-पक्षी तक संतुष्ट थे, जहाँ वे रहते थे. गंगा के तट पर ही उनका आश्रम था. जो भी अतिथि महर्षि दधीचि के आश्रम पर आता, स्वयं महर्षि तथा उनकी पत्नी अतिथि की पूर्ण श्रद्धा भाव से सेवा करते थे. यूँ तो 'भारतीय इतिहास' में कई दानी हुए हैं, किंतु मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों का दान करने वाले मात्र महर्षि दधीचि ही थे. देवताओं के मुख से यह जानकर की मात्र दधीचि की अस्थियों से निर्मित वज्र द्वारा ही असुरों का संहार किया जा सकता है, महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान कर दिया.

22 September 2023

भारत के महान संत ब्राह्मण सूरदास

सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गाँव में हुआ. यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है. कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बाद में ये आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे. सूरदास के पिता रामदास गायक थे. सूरदास जन्म से ही अन्धे थे, किन्तु सगुन बताने की उनमें अद्भुत शक्ति थी. 6 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने अपनी सगुन बताने की विद्या से माता-पिता को चकित कर दिया था. किन्तु इसी के बाद वे घर छोड़कर चार कोस दूर एक गाँव में तालाब के किनारे रहने लगे थे. सगुन बताने की विद्या के कारण शीघ्र ही उनकी ख्याति चारों और फैल गई. गान विद्या में भी

मैथिल कवि कोकिल ब्राह्मण विद्यापति

विद्यापति (1352-1448ई) मैथिली और संस्कृत कवि, संगीतकार, लेखक, दरबारी और राज पुरोहित थे. वह शिव के भक्त थे, लेकिन उन्होंने प्रेम गीत और भक्ति वैष्णव गीत भी लिखे. उन्हें 'मैथिल कवि कोकिल' (मैथिली के कवि कोयल) के नाम से भी जाना जाता है. विद्यापति का प्रभाव केवल मैथिली और संस्कृत साहित्य तक ही सीमित नहीं था, बल्कि अन्य पूर्वी भारतीय साहित्यिक परम्पराओं तक भी था. उन्हें "बंगाली साहित्य का जनक" कहा है. विद्यापति भारतीय साहित्य की 'शृंगार-परम्परा' के साथ-साथ 'भक्ति-परम्परा' के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं. इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है.

धुनिक भारत के चिन्तक एंव आर्य समाज के संस्थापक ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती आधुनिक भारत के चिन्तक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे. उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' था. दयानन्द सरस्वती का जन्म 12 फ़रवरी टंकारा में सन् 1824 में मोरबी (मुम्बई की मोरवी रियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र (जिला राजकोट), गुजरात में हुआ था. उनके पिता का नाम करशनजी लालजी तिवारी और माँ का नाम यशोदाबाई था. उनके पिता एक कर-कलेक्टर होने के साथ ब्राह्मण परिवार के समृद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति थे. इनका जन्म धनु राशि और मूल नक्षत्र मे हुआ था इसीलिए स्वामी दयानन्द सरस्वती का असली नाम मूलशंकर था और उनका प्रारम्भिक जीवन बहुत आराम से बीता. आगे चलकर एक पण्डित बनने के लिए वे संस्कृत, वेद, शास्त्रों व अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गए. अपनी छोटी बहन और

भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत एंव आधुनिक भारत के जनक ब्राह्मण राजाराम मोहन राय

राजा राममोहन रॉय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है. इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था. भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है. वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे. उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की. उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया. 

भारत के महान समाज सुधारक ब्राह्मण ईश्वर चन्द्र विद्यासागर

ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले के वीरसिंह गाँव में एक अति निर्धन ब्राम्हण परिवार में हुआ था. पिता का नाम ठाकुरदास वन्द्योपाध्याय था. तीक्ष्णबुद्धि पुत्र को गरीब पिता ने विद्या के प्रति रुचि ही विरासत में प्रदान की थी. नौ वर्ष की अवस्था में बालक ने पिता के साथ पैदल कोलकाता जाकर संस्कृत कालेज में विद्यारम्भ किया. शारीरिक अस्वस्थता, घोर आर्थिक कष्ट तथा गृहकार्य के बावजूद ईश्वरचंद्र ने प्रायः प्रत्येक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. उनके बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्द्योपाध्याय था. संस्कृत भाषा और दर्शन में अगाध पाण्डित्य के कारण विद्यार्थी जीवन में ही संस्कृत कॉलेज ने उन्हें 'विद्यासागर' की उपाधि प्रदान की थी. 

भारत के महान संत एंव आध्यात्मिक गुरु ब्राह्मण रामकृष्ण परमहंस

रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक थे. इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया. उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया. स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे. साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं. वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं. मानवीय मूल्यों के पोषक संत रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फ़रवरी 1836 को बंगाल प्रांत स्थित

भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता ब्राह्मण रबीन्द्रनाथ टैगोर

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं. उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फुकी और एशिया में प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हुए. वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं. रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ. उनके पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी थीं. उनकी आरम्भिक शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई. उन्होंने बैरिस्टर बनने की इच्छा से 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में नाम लिखाया फिर लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया किन्तु 1880 में बिना डिग्री प्राप्त किए ही स्वदेश पुनः लौट आए. सन् 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ.

भारत के महान स्वतन्त्रता सेनानी ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक (23 जुलाई 1856 - 1 अगस्त 1920), एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे. ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे. उन्हें, "लोकमान्य" के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत. लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे. उनका दिया गया नारा "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा" बहुत प्रसिद्ध हुआ. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष और वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै शामिल थे.